29 लाख में भी नहीं जली ट्रेफिक लाईटें

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    जाम से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने चौक व तिराहे पर ट्रैफिक लाइटें लगाने में 29 लाख खर्च किए, मगर करीब चार साल से लाइटें नहीं जल सकीं। आलम में यह है कि शहर जाम से कराह रहा है और पुलिस प्रशासन ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने में गंभीर नहीं दिख रहा है।वहीं ट्रेफिक लाईटों के सिग्नल की बत्ती कब जलेगी इसके सवाल पर निगम और पुलिस एक दुसरे पर आरोपों का ठिंगरा फोड रहे हैं।

    काशीपुर कुमाऊं का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र है। यहां आबादी के साथ वाहनों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ। इससे सड़कों पर वाहनों का दवाब बढ़ गया है। एमपी चौक, चीमा चौक व टांडा उज्जैन तिराहे पर रोजाना जाम ही लगा रहता है। यदि बाजपुर रोड स्थित रेलवे फाटक बंद हो गया तो फिर जाम में आधा घंटे फंसे रहना पड़ता है। 24 घंटे में करीब 29 बार रेलवे फाटक बंद होता है। जाम से राहत दिलाने के मकसद से नगर निगम ने वर्ष 2013 में करीब 29 लाख रुपये में चीमा, एमपी चौक व टांडा उज्जैन तिराहे पर ट्रैफिक लाइटें लगाई गई। बिजली गुल होने पर भी लाइटें जलती रहें, इसके लिए सोलर सिस्टम भी लगाया गया है। इसमें 26 लाख रुपये खर्च किए गए। विडंबना यह है कि करीब चार साल बाद भी लाइटें नहीं जल सकीं। जबकि सोलर लाइटें जलती रहती हैं। लाइट न जलने से दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। इससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आखिर लाइटें कब जलेंगी, इसे लेकर कई बार पुलिस प्रशासन व नगर निगम के बीच वार्ता हो चुकी है, मगर अमल में नहीं लाया जा सका।

    खास बात यह है कि निगम कहता है कि ट्रैफिक लाइटें संचालित करने के लिए पुलिस प्रशासन को हैंडओवर कर दिया गया है। इसलिए इसका रखरखाव पुलिस को ही करना चाहिए। जबकि पुलिस प्रशासन का कहना है कि लिखित रूप में हैंडओवर नहीं किया गया है। निगम व पुलिस प्रशासन की तनातनी में जनता जाम में फंस कर भुगत रही है।

    ट्रैफिक लाइटों पर 29 लाख खर्च के बावजूद स्थिति जस की तस आम आजमी के जान से पसीने छूटते हैं तो पुलिस और नगर निगम अपनी कागजी कार्यवाही के कोरम में ही फंस कर रह गया है…पुलिस जहां इन लाईटों को सही तरीके से ना लगने की बात कहता है तो निगम का कहना है कि हमने लाईटें लगा दी संचालित करना पुलिस का काम है.. दोनों के बीच की जंग में 29 लाख बर्वाद हो गये और जनता जाम से कराह रही है…देखना होगी कि आखिर इसका क्या नतीजा निकलता है और जनता को कब जाम से राहत मिलती है।