उत्तराखण्ड : विशेष सत्र में एससी-एसटी विधेयक सर्वसम्मति से पारित

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सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित 
उत्तराखण्ड विधानसभा के विशेष सत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अगले 10 साल के लिए आरक्षण व्यवस्था के लिए संविधान का 126 वां संशोधन विधेयक 2019 समर्थन में संकल्प प्रस्ताव को सत्ता पक्ष और विपक्ष ने केन्द्रीय विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए ​स्थगित कर दी गई। इस मौके पर सदन के नेता सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में यह विधेयक मददगार साबित होगा। वहीं विपक्ष ने खाली पड़े भर्तियों को तत्काल भरने की मांग की।
मंगलवार को उत्तराखण्ड विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अगले 10 साल के आरक्षण व्यवस्था विधानसभा से परित करने के लिए आयोजित किया गया था। इस मौके पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने विधेयक को सदन के पटल रखा जिसका सर्वसम्म्ति से विधेयक सदन में समर्थन किया गया। सदन में चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ​ने विधेयक को समर्थन करते हुए कहा कि हम इसका समर्थन करते है लेकिन बैकलाग के खाली पदों को सरकार तत्काल भरने का काम करें। वहीं विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के साथ साफ सरकार पर सही मंशा से काम करने की नसीहत दी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधानसभा में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि पिछले 70 वर्षों से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों ने काफी प्रगति की है। किन्तु अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कुछ लोग अभी भी सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। इनको भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। जिससे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से भी मजबूती मिल सके।
सीएम ने कहा कि संविधान के निर्माताओं द्वारा परिकल्पित समावेशी स्वरूप को बनाये रखने की दृष्टि से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण को अन्य दस वर्षों अर्थात् 25 जनवरी 2030 तक के लिए जारी रखने का प्रस्ताव किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 334 के अनुसार लोक सभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के स्थानों के लिए आरक्षण संबंधी उपबंध किया गया था, लेकिन इन उपबंधों का विस्तार न होने के कारण यह उपबंध 25 जनवरी 2020 को अप्रभावी हो रहा था। इसलिए इस उपबंध को दस वर्षो तक जारी रखने के लिए लोक सभा में पारित इस प्रस्ताव को राज्य में लागू करने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है और राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण संबंधी प्रस्ताव को राज्य विधान सभा द्वारा जारी रखने का पूर्ण रूप से समर्थन किया गया है।