मैराथन में वुमेन और रोड सेफ्टी के लिए दौड़ेगा दून

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देहरादून। 17 दिसम्बर 2017 को उत्तराखण्ड़ पुलिस द्वारा आयोजित की जा रही हॉफ मैराथन प्रतियोगिता की थीम ” महिला सुरक्षा एवं जागरुकता” अभियान होगी।पिछले साल की तरह इस साल भी हॉफ मैराथन को लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है।

एडीजी लॉ अशोक कुमार ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि, “मैराथन को करने का आइडिया बहुत ही सिंपल है, इसके माध्यम से हम पब्लिक में जागरुकता फैलाते हैं, जनता पुलिस के साथ सीधे कनेक्ट कर पाती है।उन्होंने कहा जैसे पिछली बार हमने मैराथन में करप्शन और ड्रग्स के खिलाफ लोगों को जागरुक किया था इस बार हम रोड-सेफ्टी और वुमन-सेफ्टी के लिए दौड़ेंगे।”

women safety

मैराथन को साल में एक बार करने से लोगों की पुलिस के साथ कनेक्टिविटी बढ़ती है साथ ही लोगों के बीच हेल्थ अवेयरनेस से जुड़े मुद्दे भी सामने आते हैं। एडीजी अशोक कुमार ने बताया कि, “अब तक लगभग 20 हजार लोगों ने 17 दिसंबर के मैराथन में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है।”

हाफ मैराथन में कुल 2 दौड़ रखी गयीं हैं- 21 किमी एवं 7 किमी, जिन्हें तीन श्रेणीयों में बांट कर पुरुष एवं महिला धावकों के लिए अलग-अलग श्रेणीयां रखी गयी हैं।

1- जूनियर(12 से 18 वर्ष)
2- ओपन
3- मास्टर(45+)

मैराथन पुलिस लाइन रेसकोर्स से प्रारम्भ होकर ई.सी. रोड़, राजपुर रोड़, कैनाल रोड़ होते हुये वापस आयोजन स्थल पर समाप्त होगी। मैराथन की तैयारियां शुरु कर दी गई हैं, विशाल जनसमर्थन को देखते हुए रजिस्ट्रेशन की तारीख दिसंबर 10 से बढ़ाकर दिसंबर 14,2017 कर दी गई है।ऑफलाईन आवेदन के लिए पुलिस लाइन स्थित पेट्रोल पंप व पवेलियन ग्राउंड में काउन्टर लगाये गये हैं।

मैराथन में 7 किलोमीटर में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को 15 एवं 16 दिसम्बर 2017 को और 21 किलोमीटर के प्रतिभागियों को 16 दिसंबर को पुलिस लाइन रेसकोर्स देहरादून में बिब-नम्बर वितरित किये जायेंगे। एडीजी अशोक कुमार ने कहा कि इस मैराथन के माध्यम से हम लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में जागरुक करते हैं,जिसके लिए हमने बीते दिनों अलग-अलग सेमीनार और डिस्कशन आयोजित किए थे।वुमेन-सेफ्टी के लिए सेल्फ डिफेंस क्लासेस,महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी हम खुल के सामने आए हैं। एडीजी अशोक कुमार ने कहा कि, “20 हजार की भीड़ में 5-6 हजार महिलाएं भी होंगी जो रोड-सेफ्टी और वुमेन-सेफ्टी के लिए दौडेंगीं।” इस संख्या से ही पता चलता है कि अब महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर सभी आयोजनों में भाग ले रही हैं।