34 साल बाद महासंयोग, छठ पूजा के पहले दिन सूर्य का रवियोग

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हरिद्वार,  हिन्दू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। बिहार से शुरू हुआ यह पर्व अब पूरे देश में खासकर उत्तर व पश्चिम भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को परिवार के सुख और समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
इस बार छठ पूजा पर्व 24 अक्टूबर से आरम्भ हो रहा है। चार दिनों का छठ पर्व दिवाली के बाद आता है। इस बार का छठ पर्व कई मायनों में खास है क्योंकि 34 साल बाद एक महासंयोग बन रहा है। दरअसल इस बार की छठ पूजा के पहले दिन सूर्य का रवियोग बन रहा है, जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप जोशी के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चलने वाला यह पर्व चार दिन का छठ नहाय खाय के साथ शुरू होता है।
छठ पूजा कैसे शुरू हुई इसके बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। प्रियव्रत जो पहले मनु माने जाते हैं, उनकी कोई संतान नहीं थी। प्रियव्रत ने कश्यप ऋषि से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। महर्षि ने पुत्रेष्ठि यज्ञ करने को कहा। इससे उनकी पत्नी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन यह पुत्र मृत पैदा हुआ। पुनः व्रत रखने पर उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब पांडव जुए में कौरवों से अपना सारा राज-पाट हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था तब दौपद्री की सभी मनोकामनाएं पूरी हुईं थी। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी छठ के दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत किया था और सूर्यदेव की पूजा की थी।
जोशी ने बताया कि इस बार चार दिनों तक चलने वाला यह छठ पर्व 24 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ शुरू होगा। छठ पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्यादय 06.41 बजे सुबह और सूर्यास्त में 06.05 बजे शाम। 25 अक्टूबर को खरना, 26 अक्टूबर को सांझ का अर्ध्य और 27 अक्टूबर को सूर्य को सुबह का अर्ध्य के साथ यह त्योहार संपन्न होगा।