निगम प्रशासन के स्वच्छता के दावे खोखले

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ऋषिकेश। विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के आगाज होने के बावजूद निगम प्रशासन स्वच्छता को लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा है। नगर क्षेत्र में आने वाले छोटे-बड़े सभी नाले पन्नी एवं कूड़े से जाम हैं। नगर निगम द्वारा नालों की सही से सफाई न कराने के कारण उसमें कचरों का अंबार लगा हुआ है।
गर्मी की तपिश बड़ने के बीच विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का श्री गणेशहो गया है।लेकिन अब तक नगर निगम प्रशासन सफाई की कोई योजना नहीं बना सका है। आम दिनों में सफाई के नाम पर कर्मचारी भी ऊपर से थोड़ी गंदगी निकाल कर कोरम पूरा कर लेते हैं। नतीजा ,नगरवासियों को गंदगी, सड़ांध और उससे होने वाली बीमारियों से लगातार जूझना पड़ता है।
नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि यात्रा प्रारंभ होने पर अस्थाई कर्मचारियों के लिए नियुक्तिया की जा रही है जिससे सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी जो पहले से सफाई कर्मी है उनमें से कुछ कर्मचारियों का अवकाश चल रहा हैहालांकि यात्रा को देखते हुए सभी की छुट्टियां रद्द कर दी गई है। जबकि नगर में अनेको बड़े नाले और कई छोटे सीवरेज हैं जिनमें पूरे नगर की छोटी नालियों का पानी गिरता है। नगर निगम की ओर से से इनकी सफाई कराई जाती है। लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि पालिका बोर्ड भंग होने के बाद से पटरी से उतरी शहर की सफाई व्यवस्था यात्रा सीजन प्रराम्भ होने के बाद भी अब तक सुधर नही पाई है।
हरिद्वार रोड़,देहरादून रोड़, सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों मे नाले गंदगी से लबालब भरे पड़े हैं।मलिन बस्तियों के मोहल्लों के नालों में कीचड़ जमा होने के कारण जलजमाव बना हुआ है।कूड़े में फेंकी जाने वाली प्लास्टिक ने नालियों को जाम कर दिया। साथ ही गंदगी के चलते मच्छरों भी बढ़ गए हैं। इसके चलते लोग मलेरिया आदि की चपेट में आने लगे। इसके बावजूद निगम के अधिकारी न तो शहर की सफाई व्यवस्था मे सुधार की कोशिश करते दिख रहे हैं और न ही अब तक कीटनाशक दवा का छिड़काव ही निगम प्रशासन द्वारा शुरू कराया गया है।
गर्मी के मौसम में नाली साफ नहीं होने से डायरिया और टाइफाइड का खतरा सबसे अधिक रहता है। इसके बाद जब बारिश शुरू होती है तो मलेरिया, फाइलेरिया सहित मच्छरों से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।