उत्तराखंड में पहली बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की एक महीने की वर्कशॉप

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(देहरादून) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी) दिल्ली ने 8 मार्च से 16 अप्रैल 2019 तक अभिनय नाट्य प्रशिक्षण का आयोजन किया। कार्यशाला में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अनुभवी कलाकारों व गुरुओं ने उत्तराखंड के नवोदित कलाकारों व युवाओं को अभिनय का प्रशिक्षण दिया गया जिसका उपयोग ये कलाकार अपने साथ राज्य की संस्कृति को समृद्ध बनाने में करेंगे, साथ ही राज्य में तेज़ी से उन्नति की ओर बढ़ते फ़िल्म उद्योग में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे।

सुप्रसिद्ध रंग व्यक्तित्व श्रीश डोभाल के नेतृत्व में उत्तराखंड में ‘नेशनल स्कूल ऑफ़  ड्रामा’ ने 31 दिवसीय ‘प्रोडक्शन ओरिएंटेड इंटेंसिव थिएटर वर्कशॉप’ कराया गया(8 मार्च से 12 अप्रैल  2019 तक) जिसमें दर्शकों के लिए निशुल्क नाट्य प्रस्तुति ‘गढ़ गाथा – मुगल शहज़ादा’ का उद्घाटन किया जाएगा ।

आपको बतादें कि 10 से अधिक एक्सपर्ट्स थिएटर के विभिन्न पक्षों पर प्रशिक्षण दिया, जिसमें अभिनय को प्राथमिकता दी गई, और एक नया नाटक तैयार किया गया  जिसकी प्रस्तुति 11 व 12 अप्रैल 2019 को हुई। भारत के अलग-अलग शहरों में इसके प्रदर्शन किए जाएंगे, जिसमें उपलब्धता के आधार पर डबल कास्ट रखी जाएंगी।

कुछ एक्सपर्ट के नाम जो इस वर्कशॉप का हिस्सा रहेंः

  • प्रो. डी. आर. अंकुर (Ex.Dir. NSD),
  • प्रो. कीर्ति जैन (Ex.Dir. NSD),
  • एनएसडी से डॉ. सुवर्ण रावत, श्री सोनम स्टॉब्गेस, सुश्री दक्षिणा शर्मा और श्री श्रीश डोभाल
  • श्री सुदर्शन जुयाल (NSD & FTII)
  • श्री बस्वा लिन्गय्या बसु (Dir. Bengaluru Centre, NSD).

इनके अलावा उत्तराखंड के कुछ प्रतिष्ठित कलाकारों को भी इस वर्कशॉप में देखा गया, जिनमें प्रमुख हैं: उत्तराखंड रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, प्रोफेसर डी.आर. पुरोहित, रामलाल (एक्टिंग और पपेट्री), डॉ. मनोज रान्गड़ (एक्टिंग-मेडिटेशन), मनोरमा नेगी (कोरियोग्राफ़ी) और हिमांशु बी. जोशी (दिल्ली स्थित लाइट डिज़ाइनर)

‘गढ़ गाथा – मुगल शहज़ादा’ नाटक के बारे मेंः

यह नाटक 17वीं शताब्दी की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जब औरंगजेब एक प्रभावशाली और निरंकुश मुगल सम्राट के रूप में उभरे थे। यह कहानी मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों की गाथा है।

जब शाहजहां बीमार हुए तो उनके दूसरे बेटे औरंगजेब ने उन्हें बंदी गृह में डाल दिया और अपने दो छोटे भाइयों शुजा और मुराद का वध करवा कर स्वयं को शहंशाह घोषित कर दिया। फिर औरंगजेब की सेनाओं ने बड़े भाई दारा शिकोह पर आक्रमण किया, जो पंजाब और पश्चिमी प्रदेशों के शासक थे। दारा शिकोह एक विद्वान और सहिष्णु शासक माने जाते रहे हैं, जो अगले मुगल सम्राट बनने वाले थे। उन के बेटे सुलेमान एक युवा योद्धा थे और इलाहाबाद में किले के सेनापति के रूप में तैनात थे। अपने पिता की सहायता के लिए अपनी सेनाओं और परिवार को लेकर पंजाब की ओर चल पड़े। सुलेमान की सेना पर औरंगजेब और सहयोगियों द्वारा आक्रमण किए ग, तब सुलेमान को छोटे से पहाड़ी राज्य गढ़वाल में विवश होकर शरण लेनी पड़ी।

वर्कशॉप के दौरान एक महत्वाकांक्षी प्रस्तुति ‘गढ़ गाथा-मुगल शहज़ादा’ भी तैयार की गई जो मुख्यतः गढ़ राज्य के शौर्य, बलिदान और समर्पण को प्रदर्शित करती है। कार्यशाला का समापन समारोह 16 अप्रैल 2019, सांय 7:00 बजे, ‘ओलम्पस हाई स्कूल, देहरादून’ में  किया जाएगा। यह कार्यशाला राष्ट्रीय स्तर की है लेकिन इसमें मुख्य तौर पर राज्य के प्रतिभागियों को प्राथमिकता दी गई है।