प्लास्टिक से लड़ाई में नेस्ले इंडिया की मुहिम, मैगी रैपर वापस करने पर पाऐं इनाम

प्लास्टिक कचरे को रोकने के प्रयास में नेस्ले इंडिया ने ‘मैगी रैपर रिटर्न स्कीम’ लॉन्च किया है। इस योजना के तहत, मैगी उपभोक्ता अपने दस खाली मैगी के पैकेटों को अपने पास के मैगी कलेक्शन प्वाइंट पर वापस कर सकते हैं, इसके बदले में उन्हों एक  मैगी का पैकेट वापस मिलेगा।

देहरादून और मसूरी में लॉन्च किया गया पायलट प्रोजेक्ट नेस्ले इंडिया प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पहल का हिस्सा है, जो इस क्षेत्र में लगभग 250 दुकानदारों के साथ काम करके मैगी रैपरर्स इकट्ठा करेंगे। भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संघ के मुताबिक विक्रेताओं से इन रैपरों को इकट्ठा किया जाएगा और जिम्मेदारी के साथ इसको डिस्पोज़ किया जाएगा। इसके बदले उपभोक्ताओं को हर 10 मैगी रैपर के बदले एक मैगी नूडल्स का पैकेट दिया जाता है।

गती फाउंडेशन के नीति विश्लेषक और डिजिटल संपादक ऋषभ श्रीवास्तव ने कहा कि ,”मल्टी नेशनल कंपनी नेस्ले, जो मैगी के साथ कई अन्य मशहूर उत्पादों के मालिक हैं उनकी तरफ से देहरादून और मसूरी में अपनी प्लास्टिक रिटर्न पहल को शुरू किया गया है। इसके पीछ हमारे संस्थान द्वारा उत्तराखंड सरकार के वन विभाग के साथ मई के अंत में मसूरी में किये गये ब्रांड ऑडिट रिपोर्ट का योगदान है। इस रिपोर्ट में मैगी के पैकेट फेंकने से होने वाले प्लास्टिक प्रदूषण पर ध्यान दिलाया गया था।”

नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि, “हमें आशा है कि इससे उपभोक्ताओं में व्यवहार में बदलाव आएगा और प्लास्टिक कचरे को जिम्मेदारी से डिस्पोज़ और कूड़ेदान का इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी।

बीते मई महीने में मसूरी में गती फाउंडेशन द्वारा आयोजित क्लीनअप और ब्रांड ऑडिट के बाद यह पहल सामने आई है। इसके साथ-साथ, मैगी पैकेट द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या का अध्ययन करने के लिए तीन दिवसीय फिल्ड विजीट भी आयोजित की गई थी। हालांकि छोटा, लेकिन इस आंदोलन ने निवासियों और पर्यटकों का बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया जो आंकड़ों के बारे में जानने के बाद खासा चिंतित थे।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में देहरादून, मसूरी, नैनीताल और पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों और आम लोगों के बीच मैगी एक खासा मशहूर खाने का आइटम है। लेकिन इससे होने वाले कूड़े की तरफ आजतक शायद ही किसी का ध्यान गया हो। अब नेस्ले इंडिया द्वारा प्लास्टिक के बढ़ते खतरे  पर इस मुहिम को ‘देर आये, पर दुरुस्त आये’ की तर्ज़ पर देखा जा सकता है।