असंवैधानिक बूचड़खानों के विरुद्ध जन आन्दोलन

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पशु हत्या के विरोध को लेकर देहरादून  की जनता स्थानीय शासन व सुरक्षा विभाग ने अवैध बूचड़ खानों को बंद करने का अभियान चला रहा है। फैडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑग्रेनाइजेशन के आशु अरोड़ा ने बताया कि, “पशु बूचड़ खानों मे मार दिए जाते हैं तथा कोई वैधानिक कागजी कार्रवाई भी नहीं होती। बीमार पक्षी स्वस्थ पक्षियों के साथ रखे जाते हैं जिस से स्वस्थ पक्षियों को बीमारी लगने का डर रहता है तथा उन्हें ठीक से दाना पानी भी नहीं दिया जाता।हमारे नगर निगम के पास भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो इस असंवैधानिक कार्यों पर रोक लगा सके। सड़क पर पल रहे कितने ही कुत्ते इस ही फेके हुए मीट को खा कर पेट भरते है तथा क्रूर हो रहे हैं।”

इस सन्दर्भ में एक नागरिक राहुल दवे का कहना है कि, “मैं परेशान हो गया हूं नगर निगम के इस बर्ताव से मैंने कई बार इसकी शिकायत भी की है लेकिन न तो इस से नगर निगम को कोई फर्क पड़ा न मीडिया ने कोई सीरियस एक्शन लिया। मीट की दुकान का बिना खाद्यान्न सुरक्षा पंजीकरण के सञ्चालन करना गैर कानूनी है तथा 6 महीने कारावास और 5 लाख रुपये का जुरमाना सरकार द्वारा तय किया गया है।”

मीट की दुकानों पर बाल मजदूरों को भी पाया गया है, जंग लगे औजार इस्तेमाल करते पाया गया है जिस से कीड़े, धुल तथा धुआ जैसे प्रदूषण का प्रकोप फैलता है। यह सभी बीमारी फैलाने वाले लक्षण है और हमारे शहर मे ऐसी कोई लैब भी नहीं जहा इन कीटाणु के होने की जानकारी किसी टेस्ट द्वारा पा सके।