क्यों ले रहे हैं दुग्ध संघों के कर्मचारी जबरन वीआरएस?

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देहरादून। पिछले 20 माह से वेतन न मिलने से परेशान पौड़ी और टिहरी के दुग्ध संघों के कर्मचारियों के सामने सरकार ने दो विकल्प रखे हैं। इसके तहत वे या तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) को आवेदन कर सकते हैं या फिर उन्हें हरिद्वार अथवा देहरादून के दुग्ध संघों में शिफ्ट किया जा सकता है। इसके लिए अब इन कार्मिकों के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि, 37 कर्मियों ने तो वीआरएस लेने का मन बनाते हुए आवेदन करने की बात कही है।
पौड़ी और टिहरी के दुग्ध संघों की एक दौर में धाक हुआ करती थी। संघ लाभ में रहे तो वहां कर्मियों की भर्ती भी की जाती रही। प्रबंधन की खामियों समेत दूसरे कारणों के चलते धीरे-धीरे इन संघों की माली हालत खराब होती चली गई। अब आलम ये है कि दोनों दुग्ध संघों के 110 कर्मचारियों को पिछले 20 माह से वेतन के लाले पड़े हैं। वेतन भुगतान की मांग को लेकर वे आंदोलित भी हैं, मगर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है।
दुग्ध विकास राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि दुग्ध संघों के कर्मचारियों का वेतन संघों की लाभ-हानि से जुड़ा है। चूंकि, पौड़ी व टिहरी दुग्ध संघों में दुग्ध उपार्जन नाममात्र का रह गया है। इसी वजह से कर्मियों को वेतन नहीं मिल पा रहा। उन्होंने बताया कि इस सबको देखते हुए वीआरएस का विकल्प रखने पर 37 कर्मचारियों ने इसकी हामी भरी है। उन्होंने कहा कि बाकी कर्मियों को लाभ में चल रही हरिद्वार व देहरादून के दुग्ध संघों में समायोजित किया जा सकता है लेकिन यह कर्मचारियों को तय करना है कि वे शिफ्ट होना चाहते हैं अथवा नहीं।