फिर चली बात फूलों की, चार धाम में होगी स्थानीय फूलों की महक

ऋषिकेश, 18 अप्रैल से शुरू होने वाली देव यात्रा में इस बार महकेंगे उत्तराखंड की धरती के फूल और इन फूलों से बढ़ेगी यहां के किसानों की आय। उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इस बार की चारधाम यात्रा को राज्य में उत्पादित फूलों की मार्केटिंग से मुनाफा दिलाने की कोशिश शुरू कर दी है। उत्तराखंड में कलस्टर आधारित फूलों की खेती को बढ़ावा देकर सरकार किसानों की इनकम बढ़ाएगी इसके लिए चार धाम यात्रा रूट पर आने वाले चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में पुष्प उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है। इन जिलों में उत्पादित फूलों की मार्केटिंग केदारनाथ,बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में  हर साल 10 लाख टन फूलों की खपत है, इसे देखते हुए चार धाम के आसपास के क्षेत्रों में फूलों की खेती के लिए योजना सरकार द्वारा तैयार की जा रही है।

उत्तराखंड के कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने न्यूज़ पोस्ट के साथ बात करते हुए बताया कि, “किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए चार धाम यात्रा के रूट पर 3 जिलों में क्लस्टर आधारित फूलों की खेती के लिए योजना बनाई जा रही है। इन फूलों की मार्केटिंग चार धाम में की जाएगी जिससे प्रदेश में फूलों की खेती के साथ मार्केटिंग की भी काफी संभावनाएं बनेगी। सरकार ने फ्लोरीकल्चर को कृषि उत्पादन एवं विपणन अधिनियम में नोटिफाइड किया है ताकि किसान मंडियों में भी फूलों का कारोबार कर सके।”

गौरतलब है कि हमेशा से ही कपाट खुलने के समय चारों धामों की सजावट के लिए ऋषिकेश स्थित फूल विक्रेता चंदना फ्लावर और नारायण लगातार फूलों की खपत के लिए दिल्ली और अन्य राज्यों की मंडियों पर आश्रित रहते हैं। इनके द्वारा हर सीजन में कपाट खोलते समय और बंद होते समय मंदिर को सजाया जाता है साथ ही प्रसाद आदि में वितरण के लिए फूलों के लिए बड़ी मंडी पर ही इनका फोकस रहता है क्योंकि उत्तराखंड में अभी तक फ्लोरीकल्चर के लिए कोई ठोस योजना ना होने के चलते किसान अपना फूल नहीं बेच पाते थे, फूल विक्रेता चांदना फ्लावर्स की मालकिनचांदना के अनुसार अगर, “उत्तराखंड में ही फूलों की खेती होने लगे और यहां से फूल विक्रेताओं को फूल मिलने लगे तो यह राज्य के साथ-साथ फूल विक्रेताओं के लिए भी काफी फायदे का सौदा होगा और जो आम आदमी पर फूलों की कीमत का बोझ पड़ता है वह भी कम होगा क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन के चलते फूलों को लाना और फिर उनको सुरक्षित रखना महंगा पड़ता है।”

गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य में 200 करोड का फूलों का व्यापार होता है और पुष्प उत्पादन का क्षेत्रफल 15 हेक्टेयर हो चुका है इसमें 90 हेक्टेयर पर पाली हाउस के माध्यम से फूलों की खेती होती है जिसमे गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा के अलावा जरबेरा, कार्नेशन, ग्लोडियोल्स, लिलियम का व्यवसायिक उत्पादन होता है। इन फूलों की मार्केटिंग के लिए दिल्ली की बड़ी मंडियों की ओर रुख करना पड़ता है, अब राज्य सरकार द्वारा शुरू करी गई फ्लोरीकल्चर को बढ़ावा देने की नीति के चलते भविष्य में नए रोजगार की संभावनाएं बनेगी।