संस्थानों के आसपास भी दिखाई नहीं देंगे जंक फूड और मादक पदार्थ

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देहरादून। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी), सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के बाद अब आॅल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने भी जंक फूड को लेकर कड़ा रूख अपना लिया है। काउंसिल ने देशभर के संस्थानों में इस प्रकार के खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी है।

स्कूलों और डिग्री कॉलेजों के बाद अब तकनीकि संस्थानों की कैंटीन में भी पिज्जा-बर्गर आदि की बिक्री नहीं होगी। इसके अलावा मादक पदार्थों को लेकर भी कड़ा रवैया अपनाते हुए काउंसिल ने संस्थानों के आसपास सिगरेट, बीड़ी, पान गुटखा आदि पदार्थों की बिक्री पर बैन लगा दिया है।
काउंसिल का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के आसपास के स्थानों पर इस प्रकार के मादक पदार्थों की बिक्री किसी लिहाज से ठीक नहीं है। काउंसिल ने तकनीकि व प्रबंधन से जुड़े सभी संस्थानों को इसे लेकर कड़े दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। कॉलेजों को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि जंक फूड छात्रों में मोटापे सहित अन्य कई बीमारियों का कारण बन रहा है। सरकार विद्यार्थियों के सेहत पर पड़ रहे बुरे प्रभाव को लेकर बेहद चिंतित है, इसलिए संस्थानों को सुझाव दिया जाता है कि वो अपने कैंपस कैंटीन में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाए। सर्कुलर में कहा गया है कि सिगरेट, गुटखा और तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में सभी जानते हैं। इसके मद्देनजर छात्रों में इसके दुष्प्रभाव के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए कैंपस में अवेयरनेस कैंपेन चलाए जाने चाहिए।

बच्चे लगातार हो रहे बीमार
काउंसिल ने यह कदम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थानों में जंक फूड के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में बच्चे बीमारियों से ग्रस्त होने की पुष्टि की गई है। इसके अलावा, पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने और जंक फूड को बैन करते हुए कैंटीन में स्वच्छता, खाने की क्वॉलिटी आदि को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं।
उत्तराखंड तकनीकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके गर्ग ने बताया कि काउंसिल का यह कदम वाकई सराहनीय है। जंक फूड बच्चों को बीमार बना रहा है। ऐसे में इस प्रकार के खाद्य पदार्थों पर रोक लगाने के साथ ही छात्रों को इसके दुष्प्रभावों को लेकर जागरूक किया जाना जरूरी है।

ज्यादातर संस्थानों में बगैर लाइसेंस के कैंटीन
अकेले देहरादून की बात करे तो यहां ज्यादातर शिक्षण संस्थान बगैर लाइसेंस के कैंटीन संचालित कर रही है। हालांकि कुछ संस्थानों ने पहले ही नियमों का पालन करते हुए कैंटीन संचालन के लिए लाइसेंस प्रक्रिया पूरी की हुई है। इसके बाद भी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में कई ऐसे हैं जहां नियमों से बेपरवाह होकर मेस और कैंटीन आदि का संचालन किया जा रहा है।
जिला प्रशासन का कहना है कि राजधानी में ज्यादातर संस्थानों ने कैंटीन संचालन के लिए लाइसेंस लिया हुआ है लेकिन अब भी कई ऐसे हैं जो नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। ऐसे संस्थानों की लिस्ट तैयार की जाएगी, जिसके बाद इन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। इसके बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सीबीएसई पहले ही दे चुका है निर्देश
सीबीएसई ने स्कूलों की कैंटीन में जंक फूड का इस्तेमाल न हो, इसके लिए खास तौर पर कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन करेगा, जिसके बाद यह कमेटी कैंटीन में खाने की गुणवत्ता, साफ-सफाई और जंक फूड पर रोक लगाने पर काम करेगी। कमेटी बच्चों को बेहतर खाना मिले, इसके लिए पौष्टिक आहार की लिस्ट तैयार कर भोजन उपलब्ध कराना भी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा बोर्ड ने यह भी कहा है कि संभव हो तो स्कूल के 200 मीटर के आसपास जंक फूड की बिक्री पर भी लगाम लगाई जाए।

दिए गए निर्देश
– संस्थानों में जंक फूड परोसे जाने पर रोक लगाई जाए।
– कैंटीन में खाने की क्वॉलिटी चेक करने की व्यवस्था की जाए।
– व्यवस्था के तहत जंक फूड पर रोक लगाने के लिए कमेटी बनाई जाए।
– संस्थानों के 200 मीटर के दायरे में जंक फूड व मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक।
– पौष्टिक आहार को लेकर संस्थानों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
– छात्रों को मादक पदार्थों और जंक फूड को लेकर जागरुकता का कार्य किया जाए।