उत्तराखंड में बनेगी शहद की गुणवत्ता जांचने को लैब

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राज्य में एक शहद क्वॉलिटी कन्ट्रोल लैब स्थापित की जाएगी। मौनपालको को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ‘विश्व मधुमक्खी दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि राज्य शहद उत्पादन की अपार संभाववना है। इस मौके पर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने ‘उत्तराखण्ड में मौनपालनः वर्तमान परिदृश्य एवं सभावनाएं’ विषय पर संगोष्ठी भी आयोजित की।

माधो सिंह भंडारी, किसान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्यभर के दूरदराज क्षेत्रों से आए मौनपालकों के शहद उत्पादों का अवलोकन किया और शहद उत्पादन की बारीकियां जानी। उन्होंने मौनपालकों से मौनपालन की तकनीक, समस्याएं, चुनौतियों और सरकार से अपेक्षाओं के विषय में चर्चा की।

मधु उत्पादों के अवलोकन के दौरान मुख्यमंत्री ने अच्छा उत्पादन व व्यवसाय करने वाले मौनपालकों को अपनी बेस्ट प्रैक्टिसीज का एक प्रस्ताव बनाकर सरकार को देने का अनुरोध भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज विश्व में ऑरगेनिक उत्पादों का महत्व व मूल्य बढ़ा है। इसलिए किसान अपने उत्पादों और परिश्रम की कीमत पहचानें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जल्द क्वॉलिटी कन्ट्रोल लैब स्थापित करेगी ताकि शहद काश्तकारों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिल सके। किसानों को उत्पादों की आकर्षक व अच्छी पैकेजिंग पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि शीध्र ही मौनपालको का एक और सम्मेलन बुलाया जाएगा, जिसमें वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य में शहद उत्पादन को बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी।

आगामी 25 सितम्बर को प. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशताब्दी दिवस के अवसर राज्य में किसानों को कृषि सम्बधित बहुउद्येशीय कार्यों के लिए मात्र दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने की योजना शुरू की जाएगी। इसी कड़ी में उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य में 2083 मीट्रिक टन शहद प्रतिवर्ष उत्पादित किया जा रहा है। 4600 किसान मौनपालन से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य में मौनपालन के अलावा ऐरोमेटिक, ऑरगेनिक, चाय तथा जड़ी-बूटी की कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सचिव उद्यान डी. सेंथिल पांडियन ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार राज्य में पहली बार ‘विश्व मधुमक्खी दिवस’ मनाया जा रहा है। मधुमक्खी की भागीदारी पर्यावरण संरक्षण तथा किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। इस वितीय वर्ष में मधुमक्खी से जुड़े काश्तकारों की संख्या दोगुनी की जाएगी। मौनपालन को इन्टिग्रेटेड फॉर्मिग के रूप में प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार हर जनपद के प्रगतिशील किसानों साथ विचार विमर्श कर कृषि विकास को पांच वर्ष की एक कार्ययोजना बनाएगी। केन्द्र व राज्य सरकार के कृषि विकास योजना के साथ कॉर्पोरेट सेक्टर से सीएसआर के तहत भी इसमें सहायता ली जाएगी।