हाई कोर्ट ने उत्तराखंड पीसीएस मेंस से बाहर हुईं दूसरे राज्य की महिलाओं के हक में दिया फैसला

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हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की अपर सम्मिलित प्रवर सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की वजह से बाहर हुई महिलाओं के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद नए सिरे से कटआफ लिस्ट तैयार करने के निर्देश हैं, ताकि आरक्षण की वजह से न्यूनतम कटआफ से अधिक अंक वाली राज्य के बाहर की महिला अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने का अवसर मिल सके।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार लखनऊ निवासी ऋचा साही की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की।

बीते दिनों नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा था।

अक्टूबर में मुख्य परीक्षा में बैठने मांगी थी अनुमति-

बीते दिनों हरियाणा की पवित्रा चौहान सहित अन्य की याचिका दायर की थी। जिसमें आयोग की अक्टूबर में तय मुख्य परीक्षा में बैठने की अंतरिम अनुमति मांगी गई थी। याचिका में कहा था कि उच्च विभिन्न विभागों के दो सौ से अधिक पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 26 मई 2022 को आया था। परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी की दो कट आफ लिस्ट निकाली गई।

उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट आफ 79 थी, जबकि याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना था कि उनके अंक 79 से अधिक थे, मगर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। याचिका में कहा था कि राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है।