अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए नहीं मिल रही है कन्या

ऋषिकेश, पूरा देश माँ दुर्गा के रूपो के वंदन में रंगा है, हर जगह जागरण-दुर्गा पंडाल और घरो में हरियाली के साथ कन्या पूजन ये हमारी विविध संस्कृति का हिस्सा है, जिसने भारत को भारत बनाया है। आज हम तेज़ी से पुरे विश्व को अपनी और खीच रहे है, भारत नए कलेवर में सभी देशो को दिशा दे रहा है।

मेडीकल साइंस की तरक्की के लिए एक अल्ट्रा साउंड मशीन क्या आयी हर कोई दौड़ा चला जा रहा है। कुदरत के खिलाफ लड़ने को, भाई दुर्गा के रूपो को नो दिनों तक बिना कुछ खाये पीये, लाउडस्पीकर लगा कर चीखते-चिल्लाते बड़े देवी भक्त बन रहे ,घरो में 9 कन्याओ का पूजन कर रहे हो लेकिन सोच अभी वही की वही अटकी पड़ी है, बेटा ही चाहिए वंश को चलाने के लिए।

सच्चाई ये है कि अष्टमी और नवमी के लिए कन्या पूजन के लिए शहरों कस्बो में कन्या नहीं मिल रही है फिर ये ड्रामा क्यों? सरकार कितनी रोक लगाएगी जब डॉक्टर दुकानदार बन गए है। लडकिया कोख में ही मारी जा रही है, एक मशीन ने कुदरत से ही खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है, नतीजा आप के सामने है। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ हर मिडिया चिल्ला रहा है लेकिन कानों में बेटे की चाह के परदे ने सब कुछ रोक दिया है। आज हालात सबके सामने है, कन्या पूजन के लिए लडकिया नहीं मिल पा रही है ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस पूजा का क्या फायदा जब शक्ति का अनादर ज्यादातर घरों में हो रहा है।

सर्वे बताते है कि भारत में रोज महिलाओ, कन्याओ के साथ सबसे ज्यादा अपराध हो रहे है। कोख में अजन्मी बेटी को दबाव में मार दिया जा रहा है। एक महिला दूसरी महिला को वंश और स्वर्ग का दर दिखा कर मजबूर कर रही है। क्या हम इस सोच के साथ सच में विश्व गुरु बन रहे है? नवरात्रे मनाने पर बेटी को खुला आसमान और उसके घर का पूरा आँगन दे, बेटी आपकी तक़दीर को स्वर्ग से भी ऊपर ले जाएगी, तब सही मायनो में आदि शक्ति की कृपा बानी रहेगी, कन्या पूजन उस दिन सफल होगा माँ दुर्गा जब आप के आँगन में खेलेगी।

न्यूज़ पोस्ट की शुभकामनाओ सहित, सोचियेगा जरूर।