फर्जी प्रमाण पत्रों का चल रहा खेल

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उत्तराखण्ड में फर्जी स्थाई व जाति प्रमाण पत्रों की मानों बाढ आ गयी हो। सेटिंग गेटिंग से इस पुरे खेल को अंजाम देकर प्रमाण पत्र बना लिये जाते हैं जबकि उन दस्तावेजों की कोई जांच तक नहीं की जाती जिनके आदार पर प्रमाण पत्र बनाये जाते हैं, यही नहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा से सटे एेसे कई लोग है जो दोनों प्रदेशों की सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। जिनके द्वारा दोनों प्रदेशों में प्रमाण पत्र बनाये गये हैं।

मामला बाजपुर तहसील क्षेत्र का है जहां एक व्यक्ति सूचना अधिकार के तहत मांगी एक सूचना से हुए खुलासे के बारे में बताया। जहां उ.प्र. के रहने वाले एक व्यक्ति ने उत्तराखण्ड का लाभ लेने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की भूमि रजिस्ट्री को अपनी बताकर स्थाई और जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिए हैं। इतना ही नहीं इस व्यक्ति ने अपने सारे परिवार के प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए एक रजिस्ट्री का प्रयोग किया है, जबकि यह व्यक्ति 1998 तक उ.प्र. नानकार रानी तहसील, स्वार जिला रामपुर का रहने वाला था।

उसके वहां के भूमि अभिलेख और विद्यालय की टी.सी. इस बात को बता रहे हैं लेकिन तहसील प्रशासन की मिलीभगत के चलते इस फर्जीवाड़े को अमलीजामा पहनाया गया । मामले का खुलासा करने वाले व्यक्ति का कहना है कि ये व्यक्ति अधिकारियों से मिल कर फर्जी दस्तावेज बनाने का काम करता है। ये ही नहीं पत्रकारिता की आढ में अधिकारियों से अपने सम्बन्धों का गलत फायदा उठाया करता है।

तहसील प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस बारे में अवगत कराया गया है लेकिन तब से लेकर आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। लेकिन अधिकारी अपने मातहतों की खामियों पर लगातार ही पर्दा डालते नजर आ रहे हैं।