विश्व रंगमंच दिवस: हर जिले में बने सांस्कृतिक कला को प्रस्तुत करने के लिए मंच 

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ऋषिकेश। 27 मार्च के अवसर पर विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है  पूरे उत्तराखंड में भी  विश्व रंगमंच दिवस  रंगकर्मियों के द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है जगह- जगह नाट्य गोष्ठियां और  नाटकों के मंचन हो  रहे हैं। आपको बता दे कि उत्तराखंड का रंगमंच से बहुत पुराना रिश्ता रहा है और पंद्रह सालों से विश्व रंगमंच दिवस एक बड़े समारोह की तरह मनाया जा रहा है। इसी क्रम में ऋषिकेश में गढ़वाल सभा और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन नई दिल्ली द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन करके रंगकर्मियों को सम्मानित किया गया इस अवसर पर रंगकर्मियों ने राज्य सरकार से हर डिस्ट्रिक्ट में कलाकारों के लिए रंगमंच स्टेज बनाने की मांग करी जिससे उत्तराखंड की कला समृद्धि को बचाया जा सके, रंगमंच व जीवन एक दूसरे के पूरक हैं,ये हमारा दर्पण होता है।

इस मौके पर रंगकर्मी और पत्रकार आशीष डोभाल ने व्यक्त करते हुए कहा कि ,’‘रंगमंच व जीवन एक दूसरे के पूरक हैं,ये हमारा दर्पण होता है और आज आवश्यकता है कि इसके संवर्धन के लिए प्रयासों में और तेजी लाई जाये।”

रंगकर्मी आशुतोष डंगवाल ने अपने रंगमंच के दिनों की यादें साझा की। रोशन रतूडी ने कहा कि, “अभिनय पूरे जीवन चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है।” गढ़वाली फिल्मों के अभिनेता बलदेव राणा ने कहा कि, “कला और कलाकार हर व्यक्ति के अंदर होता है,अपनी भाषा व बोली के लिए लगातार सार्थक प्रयास करने होंगे।”

विश्व रंगमंच दिवस पर उड़ान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने एक स्वर में रंगकर्म को अपने अंदर जीवित रखने की बात कही। साथ ही लोक संस्कृति से जोड़ने की वकालत की। इससे पहले पत्रकार साथी जयंत के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया व भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर रंगकर्म के लिये कृष्णा रावत, श्याम रतूडी,सरिता भट्ट, राजेन्द्र चौहान,आशीष डोभाल,आशुतोष डंगवाल,ज्योति रावत व प्रबोध उनियाल को स्मृति चिन्ह व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।