आखिर कब रुकेगा हाथियों की मौत का सिलसिला

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ऋषिकेश, लगातार राजाजी नेशनल पार्क के हरिद्वार और देहरादून के बीच गुजर रहे रेलवे ट्रैक पर वन जीवो की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रेलवे का यह खूनी ट्रेक 34 सालो मे 27 हाथियों को मौत के घाट उतार चुका है ओर कई जानवर, बड़ी संख्या में अब तक इस ट्रेक के द्वारा रेल की चपेट में आने से मर चुके हैं। लेकिन अभी तक इन मौतों की रोकथाम के लिए ना तो वन विभाग के पास कोई ठोस उपाय है और ना ही रेलवे के पास।

वैसे कोई हाथी मरता है तो बड़ी हाय तोबा मचती है, लेकिन इन दर्दनाक मौतों के लिए अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है। गौरतलब है कि दिल्ली से दून आने वाली नंदा देवी एक्सप्रेस की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई। राजाजी नेशनल पार्क में बीते 32 दिन में यह दूसरा हादसा है। पिछले माह 17 फरवरी को भी इसी ट्रेन की चपेट में आने से एक शिुशु हाथी की जान चली गई थी। पार्क प्रशासन अब रेलवे के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी कर रहा है। हालांकि हादसे से रेल सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा। घटना सुबह करीब 5 बजे की है।

राजाजी नेशनल पार्क के कांसरो क्षेत्र में सुबह हाथियों का एक झुंड रेलवे ट्रैक को पार कर रहा था। इसी दौरान झुंड का एक सदस्य वहां से गुजर रही नंदा-देवी एक्सप्रेस की चपेट में आ गया, हाथी की मौके पर ही मौत हो गई। रेंज अधिकारी दिनेश प्रसाद ने बताया कि, “सुबह पानी पीने के लिए हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक के पार जाता है, यह झुंड भी इसीलिए उस ओर जा रहा होगा। मौके पर ही पोस्टमार्टम कराने के बाद शव दफना दिया गया, हाथी की उम्र करीब 20 वर्ष बतायी जा रही है। नियमों के मुताबिक ट्रेन के चालक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।”

एक नजर हाथी की मौत के सिलसिले पर
17 फरवरी 2018 4 वर्षीय नर हाथी की मौत
14 जनवरी 2013 दो हाथियों की मौत
15 अक्टूबर 2016 एक हाथी की मौत

गौरतलब है कि राजाजी टाइगर रिजर्व में तेज रफ्तार ट्रेन हाथियों के लिए मौत बनकर दौड़ रही है। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने इस क्षेत्र में रेलवे के लिए कुछ शर्तों के साथ ट्रेन चलाने के निर्देश दिए हैं। बोर्ड ने रात में 30 से 35 और दिन में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार निर्धारित की है लेकिन अधिकतर ट्रेनें 50 किलोमीटर से अधिक की रफ्तार से दौड़ रही हैं जबकि कुछ ट्रेनें 7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा रही है, जिसके चलते हादसे ज्यादा हो रहे हैं।

वन विभाग का कहना है कि बीते 2 साल के भीतर ही नंदा-देवी एक्सप्रेस से कटकर 3 हाथियों की मौत हो चुकी है और इसके अलावा एक लेपर्ड भी इसकी चपेट में आ मर गया था, कासरो रेंज में 11 ऐसे स्थान है जहां से पानी के लिए जानवर रेलवे ट्रैक को क्रॉस करते हैं और हादसा हो जाता है लेकिन विभाग अभी तक इन हादसों को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं।