पहाड़ का दर्द: इस गांव का नाम सब जानते हैं, यहां अभी तक बिजली और सड़क नहीं

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माहौल

गोपेश्वर। सरकार भले ही सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दिए जाने का दावा करती हो तल्ख हकीकत यह है कि अभी भी चमोली जिले के 242 तोको में बिजली नहीं है। और तो ओर जिस द्रोणागिरी के पर्वत से हनुमान संजीवनी बूटी को पहाड सहित उखाड ले गये थे उस गांव में अभी तक न सडक है न बिजली। गांव के लोग गुहार करते-करते थक गये मगर सड़क अभी आधे तक भी नहीं पहुंच पायी। आठ किमी की खडी चढाई चढ कर गांव तक पहुंचना पडता है। यही हाल बिजली का भी है।
द्रोणागिरी के गांव के लोग शीत काल में चमोली जिले के मैठाणा व अन्य स्थानों प्रवास करते है। और अब ग्रीष्म काल में अपने प्रवासी गांव द्रोणागिरी जाना चाहते है मगर सबसे के पैर ठिठके हुए है। लोनिवि ने दावा किया था कि अप्रैल माह तक सडक और पुल ठीक कर दिए जायेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। अब गांव के लोग कह रहे है कि कैसे गांव पहुंचेगे। 120 परिवारों वाले इस द्रोणागिरी गांव जाने के लिए सडक रूवींग गांव तक कटी तो है मगर आगे अभी सडक निर्माण का काम कछूआ गति स ेचल रहा है। जुमा गांव तक सडक यहां से रूवींग जाने वाली सडक पर जो पुल बना है उसके आधार बिंदू जो खड्ड बना है उसे जोडा ही नहीं गया है। यही हाल गरपक, कागा जाने वाले मार्ग का है। यहां भी न बिजली और सड़क नहीं पहुंची।
गांव के नरेंद्र सिंह रावत, दीपक रावत, दीवान सिंह, प्रेम सिंह, चैत सिंह कहते है कि सडक निर्माण के लिए कई बार लोनिवि के अधिकारियेां से मिले। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुल का कार्य पूरा हो जायेगा। ग्रामीणों का कहना है कि यहीं तक भी सडक पहुंच जाती तो गांव जाने के लिए रास्ता कुछ कम हो जाता।
ये है बिजली का हाल
गरपक, कागा, रूवींग गांवों में बिजली के खंभे और तार तो बिछ गये मगर विद्युत सप्लाई नहीं हुई। कागा में अब बिजली के खंभे पहुंचाये जा रहे है। विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता कैलाश कुमार कहते है कि विद्युत आपूति इन गांव तक पहुंचाने का कार्य चल रहा है। शीघ्र पूरा हो जायेगा।
ये है द्रोणागिरी गांव की विशेषता
जब रावण के पुत्र मेघनाथ से युद्ध करते हुए लक्ष्मण को मुच्र्छा आयी तो सुषेन वैद्य की सलाह पर हनुमान इस गांव के द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी लेने आये। पूरा पहाड जडी बूटियों से जगमगा रहा था वे संजीवनी बूटी पहचान न पाये और वे पहाड के एक हिस्से को उठा कर ले गये। उसमें से सुषेन वैद्य ने संजीवनी बूटी निकाल कर लक्ष्मण के प्राण बचाये थे। ये गांव अनुसूचित जनजाति के लोगों का गांव है। यहां के लोग बडे-बडे सरकारी पदो पर भी है।