दून मेडिकल कॉलेज की मान्यता में पड़ सकता है अड़ंगा!

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देहरादून, दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग पर मरीजों का अत्याधिक दबाव है। एमसीआई की टीम ने इसे ‘ओवरलोड’ की श्रेणी में रखा है। इसके अलावा ओपीडी व ओटी ब्लॉक का कार्य पूरा न होने पर भी टीम नाखुश दिखी। मेडिकल कॉलेज की चौथे साल की मान्यता में एक बड़ा अडंगा फैकल्टी का भी है। जिसमें तकरीबन 35 फीसद की कमी मिली है।

दून मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2016 में 150 एमबीबीएस सीट की मान्यता मिली थी। वर्तमान में यहां एमबीबीएस के तीन बैच अध्ययनरत हैं। अगले साल यहां चौथे बैच के दाखिले होंगे। चतुर्थ वर्ष की मान्यता के लिए टीम ने मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान टीम को कई स्तर पर खामियां मिली हैं। मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की तकरीबन 32 व रेजिडेंट की 12 प्रतिशत कमी है। महिला अस्पताल में टीम को भारी अव्यवस्थाएं मिली। जिस पर टीम ने नाराजगी जताते हुए इसमें सुधार की आवश्यकता बताई। अस्पताल में गर्भवती महिलाएं और तीमारदार फर्श पर बिस्तर लगाकर लेटे हुए थे, तो वहीं एक बेड पर दो-दो गर्भवतियां लेटी मिली। निक्कू वार्ड की व्यवस्थाओं से भी टीम खासी नाराज दिखी। कुछ खामियां ऐसी हैं, जो साल दर साल ऐसी ही बनी हुई हैं।

मसलन अस्पताल के ओपीडी व ओटी ब्लॉक का निर्माण कछुआ गति से चल रहा है। पिछली दफा टीम आई तब भी काम अधूरा था और अब भी। कॉलेज की लाइब्रेरी में भी जगह एमसीआइ के मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। टीम में जामनगर से डॉ. एम पटेल, लातुर से डॉ. जीवी ठाकुर व एमसीआइ से चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ. एसके गर्ग मौजूद रहे। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि टीम ने कुछ खामियां इंगित की है। एमसीआइ इन्हें दूर करने को वक्त देगी। संभवत: जनवरी तक टीम दोबारा निरीक्षण करेगी। तब तक सभी कमियां दूर कर ली जाएंगी।