मेयर-डीएम विवाद ने एक बार फिर नेता-अफसरशाही के रिश्तों की दरार को खोला

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देहरादून के मेयर और विधायक विनोद चमोली से पिछले दिनों दून के डीएम एस मुर्गेशन से हुई सार्वजनिक बहस ने एक बार फिर नेताओं और अफसरशाही के बीच सालों से चले आ रहे तल्ख रिश्तों को जग जाहिर कर दिया है। दरअसल मामला बुधवार का है जब अपने क्षेत्र में एक शराब की दुकान पर तालाबंदी कराने के लिये मेयर ने कलक्टरेट पर धरना दिया और डीएम से मिलने की मांग की। मामला तब उलझ गया जब डीएम करीब दो घंटे बाद मेयर से मिलने पहुंचे। इसके चलते मेयर चमोली की डीएम से बहस बाजी हो गई। हांलाकि डीएम का कहना था कि वो पहले से ही विभागीय मीटिंग में व्यस्त होने के कारण समय नहीं दे पाये।

लेकिन डीएम की सफाई का मेयर पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होने इसकी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री से कर डाली और मुख्यमंत्री पर डीएम से सार्वजनिक मापी मांगने का दबाव डाला। इस पूरी घटना का एक वीडियो बी सामने आया है जिसमे मेयर चमोली फोन पर अपना गुस्सा जाहिर करते देखे जा सकते हैं। हांलाकि वीडियो में मेयर द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा के कारण उनकी भी खिंचाई हो रही है।

दरअसल राज्य बनने के बाद से ही प्रदेश में अधिकारियों और राजनेताओं के रिश्तों में तल्खी सी रही है। लंबे समय से राज्य के मंत्री, विधायक नेता आदि अधिकारियों पर उनकी उपेक्षा करने का आरोप लगाते रहे हैं। वर्तमान सरकार की बात करें तो पिछले कुछ महीनों में सतपाल माहराज, रेखा आर्या और बीजेपी के कई विधायकों ने अधिकारियों के बरताव के बारे में शिकायत करते रहे हैं।

वहीं इस मामले पर प्रोफेसर गणेश सैली ने कहा कि “जिस तरह का रवैया राजनितिज्ञ और ब्यूरोक्रेट्स इस्तेमाल कर रहें उससे राज्य का नुकसान ही होगा। राज्य के विकास में दोनोें को ही समझ-बूझ कर काम करना चाहिए तभी हम प्रगति पर होंगे।इस तरह का रवैया एक बात का परिचय देता है कि आजकल के नेताओं और अफसरों का ईगो पहाड़ों से भी ऊचा है।इनको अपना अहम घर पर छोड़ कर राज्य की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए।”

इस मामले ने कांग्रेस को भी बीजेपी को घेरने का मौका दे दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि ”जब बीजेपी के नेता और दूसरे विभाग के आॅफिसर के बीच तना-तनी हुई है।इससे पहले बीजेपी के नेता ने हेलीकाॅप्टर ना मिलने की शिकायत की थी।इसके अलावा बीजेपी के ही एक विधायक ने धमकी दी थी कि अगर उनके क्षेत्र में शराब की दुकाने नहीं बंद हुई तो वह सुसाईड कर लेंगे और एक जगह तो बीजेपी के नेता ने अपने क्षेत्र में शराब की दुकानें बिना किसी आॅर्डर के बंद ही कर दी थी।ये उचित नहीं है,लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं,बीजेपी के जो विधायक और जो दूसरे लोग हैं उन पर अंकुश लगाना चाहिए  और अगर जल्द ही उनपर अंकुश नहीं लगाया तो यह प्रदेश के लिए घातक होगा”।