ज्ञान यज्ञ में लोकतंत्र की अवधारणा पर हुआ विचार विमर्श

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ऋषिकेश, बजरंग मुनि सामाजिक शोध संस्थान ऋषिकेश के प्रबन्ध कार्यालय में आज आयोजित हुए ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के तहत लोकतंत्र और उसकी समस्याएं विषय पर चर्चा की गई।कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यालय परिसर में विश्व शांति हेतु हवन यज्ञ कर प्रारम्भ किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता आचार्य पंकज ने कहा कि आज लोकतंत्र की जो अवधारणा है वह इस अर्थ में है कि लोक नियुक्त तंत्र के स्थान पर लोक नियंत्रित तंत्र होना चाहिए जो नहीं हुआ। भारत में जन सहभागी लोकतंत्र की स्थापना नहीं हुई सविंधान का शासन लोकतंत्र है शासन का सविंधान तानाशाही।लोकतंत्र की जो पिरामिड है समाज संविधान और संसद। संविधान समाज के लिए और संसद सविंधांन पर विमर्श के लिए जनसह भागी लोकतंत्र की स्थापना के लिए गांधी,लोहिया और जय प्रकाश नारायण जीवन पर्यंत संघर्ष रत थे।राजनीतिक दलों ने अपनी सुख सुविधा के लिए लोकतंत्र के नाम पर लूट खसोट बनाए रखा है।जब जब भी लोकतांत्रिक तरीके से जनसहभा गि लोकतंत्र के लिए संग्घार्ष खड़ा हुआ तब देश के सभी राजनीतिक दलो ने उसका कद प्रतिवाद किया। आश्चर्य है इस देश में जो सविंधान संसद का निर्माण करता है वहीं संसद उसमे संशोधन केसे कर सकती है।जब तक ग्राम सभाओं नगर सभाओं,जिला सभाओं को सविंधा न संशोधन के समय इनकी सहमति लेना अनिवार्य नहीं होता तब तक लोक नियंत्रित्र तंत्र की स्थापना नहीं हो पाएगी।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुवे समाजसेवी कमल सिंह राणा ने कहा कि वर्तमान में लोकतंत्र से लोक स्वराज्य की यात्रा ही उपयोगी होगी नहीं तो तानाशाही आने में देर नहीं लगेगी। गोष्ठी का संचालन करते हुवे डॉ राजे नेगी ने सभी उपस्थित लोगों को हिमालय के संरक्षण हेतु पर्यावरण संरक्षण की शपद दिलवाई। इस अवसर पर विनोद जुगरान,दिनेश पैन्यूली,राजेन्द्र चौहान,कमल जोशी,विजय असवाल,ललित मोहन मिश्रा,यशवंत भंडारी,आशीष लखेड़ा,उर्मिला भट्ट,अनीता ममगाईं,नरेश वर्मा,बलराम शाह, डॉ प्रकाश बिजलवान्न, डॉ उषा कटियार,जय कुमार तिवारी,संजय थपलियाल,सुतिश गुप्ता,राधे साहनी उपस्तिथि थे।