जीएसटी और आर्थिक विकास विषय पर विशेषज्ञों का मंथन

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दून विश्वविद्यालय में प्रबन्धशास्त्र विभाग ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और आर्थिक विकास विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।

विवि परिसर में आयोजित हुई संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ब्रिडकुल के महाप्रबन्धक अनूप कुमार ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर से अर्थव्यवस्था के विकास को गति मिलेगी। रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। पहले की तुलना में उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर उत्पाद मिलेंगे। जीएसटी की बारीकियों को आम व्यवसायी को को समझाने के लिये लगातार कार्यशालाएं आयोजित हो रही हैं और वर्तमान में उसके मूल्यांकन पर टिप्पणी करना उचित नहीें होगा।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुसुम अरुणाचलम ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि देश के कर ढांचे को मबूत करने व कर प्रणाली में सुधार करने के उद्देश्य से जीएसटी राष्ट्र के व्यवसायिक एवं आद्योगिक गतिविधियों को एकीकृत करेगा एवं देश के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी डीसी लोहानी ने जीएसटी को अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार वाला कदम बताया।

संगोष्ठी में टैक्स विशेषज्ञ डॉ. जीपी डंग ने जीएसटी पर प्रकाश डालते हुए केन्द्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी एवं एकीकृत जीएसटी का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। चार्टेड अकाउंटेंट हर्षित गुप्ता ने जीएसटी पंजीकरण एवं टैक्स रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया को समझाते हुए स्पष्ट किया कि इस व्यवस्था से आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को विकास की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी व राजस्व में भी वृद्वि होगी।

तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. वीके सिंह ने कहा किय जीएसटी सर्वप्रथम फ्रांस में शुरू हुआ। आज 162 देशों ने इसे अपना लिया है चूंकि भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। इसलिए यहां के जीएसटी के स्वरूप में कैनेडा के मूल भाव का समावेश किया गया है और यह तीन स्तरीय ढांचा पर आधारित है। इसे 33 अधिनियम द्वारा पास किया गया है व इसमें शून्य प्रतिशत, पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत व 28 प्रतिशत के पांच चरण हैं। भारत जीएसटी के लागू होने के बाद विकसित देशों के कगार पर खड़ें होने की तैयारी है।

संगोष्ठी के समन्वयक प्रो. एचसी पुरोहित ने प्रबन्धशास्त्र स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी दी और भविष्य में स्कूल के छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिए इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन आगे भी करते रहने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सुधाशु जोशी ने किया।