बाघिन को मारे जाने पर लगे सवालिया निशान, जांच की मांग

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(देहरादून)। गत दिनों आदमखोर बाघ के रूप में मारी गई बाघिन के मामले पर अब सवाल उठने लगे हैं। पूर्व अवैतनिक वन्यजीव प्रतिपालक दिनेश चंद्र पाण्डेय व राजीव मेहता द्वारा इस तरह गुलदार को गोली मारे जाने की घटना पर सवाल उठाते हुए इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के खिलाफ बताया गया है।

इन लोगों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत वन्यजीवों की हत्या की वजह उन्हें टेज्ग्यूलाईजर कर सुरक्षित क्षेत्र में छोड़ा जाना चाहिए। इन पर्यावरण्विदों ने राजाजी टाईगर रिजर्व के वर्तमान पार्क निदेशक सतनाम को उनके पद से हटाने तथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।

मुख्य सचिव एवं प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड तथा सचिव एनटीसीए नई दिल्ली को भेजे गए अपने पत्र में उन्होंने मानव और वन्य जीवों के बीच बढ़ते संघर्ष पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा हे कि इस समस्या के स्थाई समाधान खोजे जाने की जरूरत है।

उनका कहना है कि पिछले एक साल में राजाजी टाईगर रिजर्व में 21 लोगों का गुलदार द्वारा मारा जाना और 12 गुलदारों को आदमखोर घोषित किया जाना व एक मादा गुलदार को गोली मारा जाना इस समस्या की गंभीरता को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। उनका कहना है कि जिस मादा गुलदार से मारा गया है। उसका पंजा कटा हुआ था। जो इस बात का सबूत है कि यह मादा शिकारियों फंदे में फंस चुकी थी। साथ ही इस मादा के पेट से मानव मांस और हड्डियों आदि का बरामद न होना ही यह बताता है कि यह जरूरी नहीं कि यह मादा गुलदार आदमखोर थी। उन्होंने वर्तमान समय में इस क्षेत्र में टाईगर रिलोकेशन प्रोग्राम को स्थगित करने व पार्क निदेशक सतनाम सोनकर को तत्काल हटाए जाने व उसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।