जोशीमठ भू धंसाव : लोगों का जीवन बचाने को केन्द्र सरकार राहत-पुनर्वास के कामों को अपने हाथों में लें

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जोशीमठ
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जोशीमठ भू धंसाव से दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालात,जमीनें फटने और मकानों के दरकने का क्रम बढ़ने, राहत शिविरों में प्रभावित परिवारों की संख्या बढ़ने से लोग जीवन बचाने का संघर्ष कर रहे हैं।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर जोशीमठ में जनहानि होने का इंतजार किए बैगर जोशीमठ के राहत, पुनर्वास व स्थिरीकरण के कार्यों को स्वयं के हाथों में लेने की मांग की है।

एसडीएम के माध्यम से भेजे गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि जोशीमठ एक अभूतपूर्व गंभीर संकट से गुजर रहा है, जिसने इस ऐतिहासिक शहर के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। राज्य सरकार ने लगभग 14 महीनों से इस संकट को लेकर दी जा रही चेतावनी की अनदेखी की है, जिसका खामियाजा हजारों लोग भुगत रहे हैं।

ज्ञापन में केन्द्र सरकार से जल्द से जल्द राहत-पुनर्वास के कार्यों को स्वयं के हाथों लेते हुए लोगों का जीवन व हित सुरक्षित रखने के लिए त्वरित गति से कार्रवाई करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान तबाही के लिए एनटीपीसी की सुरंग निर्माण प्रक्रिया पूरी तरह जिम्मेदार है और एनटीपीसी की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के कारण एलएंडटी कंपनी ने सुरंग निर्माण के कार्य से हाथ पीछे खींच लिए थे। वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र में भी स्पष्ट हुआ है कि परियोजना के लिए जहां सुरंग का निर्माण किया गया, वह पूरा क्षेत्र फॉल्ट जोन में है।

प्रधानमंत्री को भेजे इस ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि 2009 में सुरंग में टीबीएम फंसने व वर्तमान में भी पुनः टीबीएम फंसने के कारण पानी का रिसाव तेजी से हुआ। पानी के दबाव से नई दरारें बनीं और पुरानी दरारें और चौड़ी होती गईं, जिसके कारण जोशीमठ का अस्तित्व पर संकट मंडरा गया।

ज्ञापन में जोशीमठ की बर्बादी के लिए जिम्मेदार एनटीपीसी पर परियोजना लागत से दोगुना जुर्माना करीब बीस हजार करोड़ वसूल कर परियोजना के कारण उजड़ने वाले लोगों में वितरित किए जाने, भू धंसाव से प्रभावित जोशीमठ के लोगों को घर के बदले घर व जमीन के बदले जमीन देते हुए अत्याधुनिक जोशीमठ के समयबद्ध नव निर्माण के लिए उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति का गठन करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति व स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किए जाने की मांग की गई है।

ज्ञापन में वर्ष 1962 में रक्षा मंत्रालय के सेना की जरूरत के लिए अधिग्रहित की गई भूमि, जिसका मुआवजा नही मिला और वह भूमि भी भू धंसाव के संकट की जद में है। उक्त भूमि का वर्तमान बाजार दर से काश्तकारों को दिए जाने एवं वर्ष 1956 के बाद बंदोबस्त न होने के कारण बे नाप भूमि पर काश्तकारी कर रहे लोगों के नाम दर्ज करते हुए, उस भूमि का भी वर्तमान बाजार दर से काबिज काश्तकारों को दिए जाने की मांग की गई है।

प्रधानमंत्री को भेजे इस ज्ञापन पर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, समिति के सचिव/प्रवक्ता कमल रतूड़ी,कोषाध्यक्ष संजय उनियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री व बद्रीनाथ के विधायक राजेन्द्र भण्डारी, घनसाली के पूर्व विधायक भीम लाल आर्य, ब्लॉक प्रमुख हरीश परमार, टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष चंडी बहुगुणा,विवेक पंवार, पूर्व सभासद प्रकाश नेगी, उमेश भण्डारी,हरीश सती,पीसीसी सदस्य हरीश भण्डारी, प्रदीप डंगवाल, दिनेश पोखरियाल सहित अनेक लोगों के हस्ताक्षर हैं।