छठ पर ठेकुआ की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है

ऋषिकेश,  सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूर्वांचल से होते हुए उत्तराखंड में भी अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है। बड़ी संख्या में यहां रह रहे पूर्वांचली छठ पर अपनी परंपराओं को बखूबी से निभाते हैं, सदियों से हर घर में ठेकुआ बनाया जाता है जो छठ का मुख्य प्रसाद होता है। उत्तराखंड में भी छठ की धूम बनी हुई है, मिनी पूर्वांचल के नाम से जाने वाला ऋषिकेश छठ के रंग में रंग चुका है, 36 घंटे के इस निर्जल उपवास में परंपरा का पूरा निर्वाह किया जाता है।

महिलाएं घर पर शुद्धता के साथ सदियों से चली आ रही ठेकुआ बनाने की परंपरा को निभाती आ रही है जो इस पर्व का मुख्य पकवान होता है और प्रसाद के रूप में इस को बांटा जाता है। शुद्धता और साफ सफाई से पूजा के लिए पूर्वांचली घर में महिलाएं गुड़, घी और गेहूं के आटे से घर में ठेकुआ बनाती है जो देखने में और खाने में अत्यंत ही स्वादिष्ट होता है। व्रत के तीसरे दिन जब उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

उसके पश्चात महिलाएं प्रसाद के रूप में ठेकुआ ग्रहण करती है और इस को बांटा जाता है। खाने में कुरकुरा और खस्ता ठेकुआ हर किसी का मन मोह लेता है। छठ का उपवास सबसे कठिन उपवास माना जाता है जिसमें महिलाएं 36 घंटे उपवास पर रहकर अपनी आस्था को परंपरा के साथ निभाती है।