”ट्राइबल टूरिज्म” को पहली बार मिलेगी ”टूरिज्म पाॅलिसी” में जगह

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लंबे इंतजार के बाद सही लेकिन उत्तराखंड सरकार ने अपनी टूरिजम पॉलिसी तैयार कर ली है और शायद पहली बार इसमें ट्राइबल टूरिजम को जगह दी जाएगी।इसके साथ ही युवाओं की रुचि देखकर इस बार फोकस एडवेंचर टूरिजम को बढ़ाने पर होगा। इससे पहले साल 2001 में पॉलिसी आई थी जिसके बाद टूरिजम पॉलिसी नहीं बनी। एनबीटी से खास बात करते हुए उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पॉलिसी में इस बात का भी जिक्र होगा कि हर एक- दो साल में पॉलिसी का रिव्यू किया जाएगा और जरूरत के हिसाब से उसमें बदलाव होगा।

आखिरी गांव जाने पर मिलेगा सर्टिफिकेट: सतपाल महाराज ने कहा कि अब तक किसी ने ट्राइबल टूरिजम के बारे में नहीं सोचा। हमारी पॉलिसी में इस पर जोर रहेगा। नीती, माणा जैसे बॉर्डर से लगे आखिरी गांवों में जो पर्यटक जाएंगे उन्हें एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा कि वे आखिरी गांव में रहे हैं। ये गांव अपने आप में इतिहास समेटे हुए हैं। इनका अलग रहन सहन है और इनके अलग देवी देवता हैं। इनका तिब्बत से व्यापार चलता था और ये ब्रदीनाथ को सोना चढ़ाते थे। वे देवताओं पर सोना पेंट करते थे। इनका अपना एक तरीका है।

नेलांग वैली में कर सकेंगे हैरिटेज वॉक: उन्होंने कहा कि गंगोत्री से थोड़ पहले एक  रास्ता है जो नेलांग वैली की तरफ जाता है।यह अंद लाईन में हैं और बेहद खूबसूरत है लेकिन लोग यहां रुक नहीं सकते। वहां एक गर्तोक गली है जिसमें लकड़ी का एक पुल बना है। जिससे होकर तिब्बत से लोग उत्तरकाशी में व्यापार करने आते थे। जिस तरह हमने कुछ वक्त पहले हर्षिल, मुखबा और बगोली गांव को इनर लाइन से बाहर किया है उसी तरह हमने नेलांग वैली के लिए भी इजाजत ले ली है। हम वहां स्ट्रक्चर बनाएंगे और पर्यटक यहां आकर कुछ देर सुस्ता सकते हैं। हालांकि रात गुजारने की इजाजत नहीं होगी। यह सब हम टूरिजम पॉलिसी में जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन बॉर्डर से लगा एक गांव है जादुंग। जब चीन के साथ युद्ध हुआ था तब लोगों को वहां से हटा दिया गया था। वहां मकान और उनका सामान ज्यों का त्यों पड़ा है। वक्त वहां ठहरा सा लगता है। हमारी कोशिश है कि वहां तक पर्यटकों को ले जाने की इजाजत हमें मिल जाए।

गांव वाले बनेंगे स्टोरीटेलर: टूरिजम पॉलिसी में इस पर भी जोर है कि ट्राइवल टूरिजम को बढ़ाने के लिए गांव के लोगों को स्टोरीटेलर की ट्रेनिंग दी जाएगी। सतपाल महाराज ने कहा कि ये लोग बहुत अच्छे स्टोरीटेलर हैं पर हम उन्हें ट्रेनिंग देंगे ताकि वह पर्यटकों के लिए गाइड बन सकें। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा और पर्यटकों को उस जगह से जुड़ी वह अनसुनी कहानियां सुनने को मिलेंगी जो इनके पूर्वज इन्हें सुनाते रहे हैं। गांव वालों को हम लोकल म्यूजिक में भी ट्रेनिंग देंगे।

एडवेंचर के साथ सुपरनेचुरल टूरिजम को भी बढ़ावा: सतपाल महाराज ने बताया कि टूरिजम पॉलिसी में हमारा फोकस एडवेंचर टूरिजम के साथ ही सुपरनेचुरल टूरिजम पर भी है। हम उत्तराखंड को विंटर डेस्टिनेशन बनाना चाहते हैं। लोग स्कीइंग के लिए उत्तराखंड आएं इसलिए हम औली को डिवेलप कर रहे हैं। टिहरी की वॉटर लेक में हम वॉटर स्पोर्ट्स शुरू करेंगे साथ ही कुछ सालों बाद हमें पंचेश्वर डैम की भी बड़ी लेक मिल जाएगी जिसमें भी वॉटर स्पोर्ट्स की प्लानिंग है। उन्होंने कहा कि कई गांवों में पूजा के दौरान लोगों पर देवता आते हैं या कहीं यक्ष प्रकट होते हैं। इस तरह के चमत्कारिक और सुपरनेचुरल टूरिजम को भी हम बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी में जगह दे रहे हैं।