उधार की सांसों पर 108 आपातकालीन सेवा

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विकासनगर, प्रदेश सरकार की ओर से बजट रिलीज न होने के कारण एक बार फिर 108 एंबुलेंस सेवा के संचालन पर संकट खड़ा हो गया है। बजट जारी न होने के कारण ना तो एंबुलेंस की रिपेयरिंग हो पा रही है और ना ही कर्मचारियों को वेतन मिल पा रहा है। आलम यह है कि वर्तमान में इस जीवनदायिनी के पहिए भी उधार के डीजल पर घूम रहे हैं। ऐसे में जल्द ही यदि सरकार ने बजट रिलीज नहीं किया तो एंबुलेंस के पहिए थम भी सकते हैं।

पूरे प्रदेश में एंबुलेंस सेवा के संचालन का जिम्मा जीवीकेएम आरआई कंपनी के पास है। वर्तमान में कंपनी के माध्यम से प्रदेश की सड़कों पर करीब 139 एंबुलेंस दौड़ रही है, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से ‌बीते तीन माह से कंपनी को कोई बजट जारी नहीं किया गया है। जिससे एक बार फिर इन एंबुलेंस के संचालन पर संकट खड़ा हो गया है। 50-60 एंबुलेंस ऐसी हैं जो इन ‌तीन माह में निर्धारित मानकों से कई गुना अधिक किमी का सफर तय कर चुकी है। इन एंबुलेंस के टायर घिस चुके हैं। ऐसे में पहाड़ की सर्पिली सड़कों पर दौड़ रही यह एंबुलेंस कभी भी हादसों का शिकार हो सकती हैं। इससे पहले जुलाई से सितंबर 2017 केब बीच भी बजट जारी न होने से एंबुलेंस के संचालन पर संकट खड़ा हो गया था।

800 कर्मचारियों के सामने गहराया रोजी-रोटी का संकट
वर्तमान में 108 एंबुलेंस सेवा में करीब 800 कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें पायलेट और इमरजेंसी टेक्नीशियन भी शामिल हैं। लेकिन बजट जारी न होने से इन कर्मचारियों को भी तीन माह से वेतन नहीं मिल सका है। यह कर्मचारी भी उधार के खर्चे पर अपने और परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। कर्मचारी दफ्तर जाने तक का खर्च भी वहन नहीं कर पा रहे हैं।

एंबुलेंस सेवा के प्रदेश प्रमुख मनीश टिक्कू ने बताया कि, “फौरी तौर पर दो करोड़ रुपये का बजट जारी हो चुका है। जिसे वेतन के रूप में कर्मचारियों के खातों में डाला जा रहा है। अगले सप्ताह छह करोड़ रुपये का बजट भी मिलने की उम्मीद है। जिससे एंबुलेंस की रिपे यरिंग और टायरों को बदलने का काम किया जाएगा।” 

वहीं, महानिदेशक स्वास्थ्य अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि, “प्रदेश को हाल ही में 61 नई एंबुलेंस मिली है। जिन्हें फरवरी माह में जीवीकेएम आरआई कंपनी के माध्यम से संचालित किया जाएगा।”