चुनाव 2019: पौड़ी सीट पर बेटे और शिष्य के बीच फंसे पिता

(पौड़ी), उत्तराखंड में होने वाले लोक सभा चुनाव इस बार हर लिहाज से ज्यादा पेचीदा होंगे और उनमें से सबसे ज्यादा जिस सीट की दावेदारी देखने लायक है वह है पौड़ी सीट।

यहां एक बेटे और एक शिष्य के बीच विरासत के लिए एक दिलचस्प लड़ाई खेली जाएगी। बहुत सारी खबरों और अटकलों के साथ 16 मार्च को देहरादून में एआईसीसी चीफ राहुल गांधी द्वारा संबोधित की गई रैली में 51 वर्षीय इंजीनियरिंग ग्रेजुएट मनीष खंडूरी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।आपको बतादें कि मनीष खंडूरी पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे हैं और पौड़ी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे,और यही बात पिछले कई दिनों यह सुर्खियों में बनी हुई है।

मनीष खंडूरी के सामने, भाजपा ने राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत का चयन किया, जो खुद अनुभवी नेता बीसी खंडूरी के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। 2013 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आसीन, तीरथ के पास धन्यवाद देने के लिए कोई और नहीं, बल्कि उनके “राजनीतिक गुरु” बी सी खंडूरी ही थे।

एक हालिया इंटरव्यू में मनीष ने कहा कि, “बीसी खंडूरी मेरे पिता हैं और मुरे साथ उनका आशीर्वाद है। मेरी लड़ाई वैचारिक है।” और मनीष कांग्रेस की विचारधारा के लिए नए नहीं हैं। उनकी दादी, दुर्गा खंडूरी उत्तराखंड की एक वरिष्ठ कांग्रेस प्रमुख थीं, जबकि उनके मामा हेमवती नंदन बहुगुणा पहाड़ी-राज्य के साथ कांग्रेस के एक अनुभवी नेता थे।

एक तथ्य जो बीसी खंडूरी ने खुद मीडिया में दोहराया था, “मेरा बेटा एक शिक्षित व्यक्ति है जो अपनी इच्छा के अनुसार कर जो चाहें कर सकता है। मैं यह समझने में नाकाम हूं कि इस संबंध में सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। राजनीति कोई पारिवारिक व्यवसाय नहीं है कि वह ठीक वैसा करे जो मैने किया है।”

चूंकि पौड़ी को भाजपा का गढ़ माना जाता है, इसलिए मतदाताओं को लुभाने के लिए नए एंट्री लेने वाले मनीष के लिए यह किसी कठिन टास्क से कम नहीं होगा। चाहे वर्षों से उनके पिता की सद्भावना पार्टी लाइनों के साथ पौड़ी में हो या फिर उनके सामने तीरथ सिंह रावत जैसा नेता हो। उन्हें व्यक्तिगत रुप से लोगों का विश्वास जीतने में कितनी मेहनत और समय लगेगा यह तो मतगणना के दिन यानी 23 मई 2019 को स्पष्ट हो जाएगा।