हरिद्वार में सड़कों पर गड्ढे या गड्ढों में सड़क

0
1235

हरिद्वार। तीर्थ नगरी हरिद्वार की यातायात व्यवस्था इन दिनों सड़कों की खस्ता हालत के चलते लाचार बनी हुई गई है। हरिद्वार-दिल्ली राजमार्ग पिछले सात सालों से अपने पूरे होने की बाट जोह रहा है। आलम ये है कि शहर की जनता तथा यहां आने वाले तीर्थ यात्री सड़कों को देखकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि गड्ढें सड़कों पर हैं या सड़क ही गड्ढा बनी हुई है। सड़कों की दुर्दशा के कारण अधूरा पड़ा राजमार्ग मौत का सबब बन चुका है। विगत सात सालों में इस निर्माणाधीन हाइवे पर दुर्घटनाग्रस्त होने से 1534 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 3000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अब हाइवे पर चलना हरिद्वार में दुर्घटना को दावत देने से कम नहीं है। बावजूद इसके लोग सफर करने को मजबूर हैं। लोगों के विरोध के बाद भी राजमार्ग की हालत में कोई सुधार देखने को नहीं मिला। बल्कि हालत दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है। धर्मनगरी होने के कारण प्रतिदिन हरिद्वार में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। किन्तु यहां की सड़कों की दुर्दशा देखकर उनको भी खेद होता है। इतना ही नहीं खराब सड़कों के कारण यहां प्रतिदिन लगने वाले जाम में फंसकर उन्हें समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ता है।
इन सात सालों में सरकारें बदलीं किन्तु नहीं सुधरी तो सड़कों की दशा। खासकर हरिद्वार-दिल्ली राजमार्ग की। इस समस्या को लेकर लोगों ने कई बार आंदोलन किए, किन्तु नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहा। करीब छह माह पूर्व पत्रकार रतनमणि डोभाल ने अनशन किया था। प्रशासन ने समस्या के शीघ्र निराकरण को लॉलीपॉप देकर उनका अनशन समाप्त करवा दिया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अधूरे हाइवे के कारण लोगों को यहां घंटो जाम में फंसना पड़ता है। पुल जटवाड़ा से शांतिकुंज तक करीब 13 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे से अधिक समय लगता है। गहरे गड्ढों से वाहनों को तो नुकसान हो रहा है वहीं दोपहिया वाहन को हाइवे पर चलाना मुश्किल हो गया है। राजमार्ग का निर्माण वर्ष 2009 में आरम्भ हुआ। दो वर्ष कार्य की गति ठीक रहने के बाद इस पर ग्रहण लग गया और निर्माण कार्य तभी से रूका हुआ है। इस अूधरे निर्माण की वजह से अब तक लगभग 1534 लोगों की जान इसके कारण जा चुकी है। जबकि यहां हुए हादसों में 3000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। ये आंकड़ा डराने वाला है। बीते दिनों कांवड़ मेले के दौरान भी हाइवे परेशानी का सबब बना रहा। जिलाधिकारी दीपक रावत ने भी कई बार अधिकारियों को हाइवे के गड्ढे भरने का निर्देश दिया, लेकिन निर्देशों के अनुपालन में केवल लीपापोती ही नजर आई। अब गड्ढों को भरने का कार्य पुनः शुरू किया गया है। गड्ढों को भरने में कहीं मिट्टी तो कहीं ईटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां मिट्टी डाली जा रही है वहां स्थिति और विकट हो रही है। बरसात के कारण मिट्टी वाले स्थान पर कीचड़ हो रहा है। जो वाहन चालकों के लिए नई समस्या खड़ी कर रहा है।