रेडियो जॉकी काव्य : जिनकी आवाज़ के दिवाने हैं दून निवासी

पिछले तीन महीनों से दून निवासियों की सुबह पहले से थोड़ी अलग और तरो ताज़ा होती हैं और इसका कारण हैं एक मखमली आवाज़ जो लोगों की सुबह और ज्यादा खूबसूरत बनाती है। दिन पर दिन लोगों के दिलों पर राज़ करने वाले युवा रेडियो जॉकी, जो अपने काम और शहर को लेकर बहुत ही ज्यादा पैशनेट है, नाम है काव्य। और इनको आप हर सुबह एफएम रेडियो पर ऑफिस जाते हुए अपनी गाड़ी और अपने घरों में सुनते हैं। रेड एफएम पर सुबह 7-11 बजे काव्य आपकी सुबह में मानों जोश ही भर देते हैँ।

शायद ही हम में से कोई जानता होगा कि यह युवा हमारे अपने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से हैं। बागेश्वर में पैदा हुए और पले बड़े, काव्य के लिए कम उम्र में जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि वह उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग प्वाइंट बन गया।

हंसते हुए वह हमें बताते हैं कि, “मेरे पिता बागेश्वर में एक स्कूल चलाते हैं, और जब उनका पहला ही बेटा 11 वीं कक्षा में फेल हो गया, तो यह परिवार के लिए बहुत बड़ी बेइज्जती था जिसकी वजह से मुझे दिल्ली में अपने अंकल के साथ भेज दिया गया जो मेरे लिए एक आर्शीवाद बन गया।”

जब कभी छुट्टियों के दौरान काव्य घर पर अकेले होते थे तब वो अपने मनोरंजन के लिए रेडियो स्टेशनों को सुनना पसंद करते थे। उनका प्यार धीरे-धीर रेडियो के लिए बढ़ता गया और वह पहले से जानते थे कि वह क्या बनना चाहते है।

अपनी बारहवीं परीक्षा पूरी करने के बाद ही, 2008 में जोधपुर में काव्य को पहली नौकरी रेडियो जॉकी के रूप में मिल गई, उन्होंने हर किसी को यह विश्वास दिलाया कि वह “आरजे बनने के लिए फिट थे क्योंकि उन्हें लगता था वह किसी भी विषय में बखूबी बोल सकते हैं!” लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि एक अच्छा आरजे बनने के लिए उसके अलावा भी बहुत कुछ होना जरुरी होता है।

दो साल बाद, 9 नवंबर 2010 को उन्होंने  रेड एफएम कानपुर में ज्वाईन किया और तीन साल बाद वह जयपुर, कोलकत्ता, दिल्ली और आखिर में अपना सपना और शहर यानि की उनकी घर वापसी हो गई और वह देहरादून आ गए।

काव्य हमें बताते हैं कि, अगर रेडियो की बात हम देहरादून में करें तो यह रेडियो के क्षेत्र में नया है। मेरा काम यहां मेरे पहले प्यार की तरह है, दून की घाटी और मेरे श्रोताओं के साथ मेरा एक अनोखा रिश्ता है।

मैंने पूछा, तो वह क्या बात है जो हमे अच्छा आरजे बनाता है? इसपर आर जे काव्या का जवाब था “रेडियो जॉकी होना आसान है लेकिन एक अच्छा रेडियो जॉकी होना मुश्किल है! एक अच्छा आरजे वह व्यक्ति है जो अच्छी तरह से बोलता तो है लेकिन एक अच्छा श्रोता भी है, जो व्यक्ति अपने श्रोताओं को बिना देखें उनके साथ एक व्यक्तिगत जुड़ाव बनाएं वह है अच्छा आर.जे।”

जिस कनेक्शन के बारे में काव्य बात कर रहे हैं वह निश्चित रूप से उनका उनके श्रोताओं के साथ है। पिछले कुछ महीनों में काव्य अपने सुपरहिट्स 93.5 रेड एफएम बजाते रहो शो के साथ हर घर में अपना का नाम बना चुके हैं। सभी उम्र के श्रोताओं के साथ उनका यह शो बहुत कम समय में जबरदस्त हिट साबित हुआ है और काव्य अपने आप में ही एक सेलिब्रिटी बन चुके हैं। उनके रचनात्मक जिंगल्स और शो “एक पहाड़ी ऐसा भी” ने देहरादून अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एक पुरस्कार भी जीता है।

आखिरी में काव्य ने हमें बताया कि अगर उन्हें सही प्लेटफॉर्म मिला तो उन्हें राजनितिज्ञ बनने से कोई परहेज नहीं हैं लेकिन लेकिन रेडियो जॉकी छोड़ने की कोई योजना नहीं है। तो आरजे काव्य के बारे में और जानने के लिए आप इन्हें सुनते रहे रेड एफएम पर।