ड्यूटी के कारण अपने घरों में भी अपनों से दूर रहने को मजबूर हैं पुलिस के जवान

21 दिनों के लॉकडाउन को कामयाब बनाने के लिये प्रशासन और सरकार ने जी जान लगा रखा है। लोगों को परेशानी के बिना अपने घरों में रोकना राज्य प्रशासन और पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। जहां राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ़ ने कोरोना से जंग का मोर्चा सँभाल रखा है वहीं राज्य के तमाम इलाक़ों में उत्तराखंड पुलिस ‘फ़र्स्ट लाइन ऑफ डिफ़ेंस’ का काम कर रही है। लेकिन, क्या आपने सोचा है कि यह पुलिस वाले ड्यूटी ख़त्म करने के बाद अपने घर को वापस जाकर किस तरह रहते हैं, क्योंकि कोरोना वायरस किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है। उत्तराखंड पुलिस ने रविवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल (http://@uttarakhandcops) से कुछ ऐसे पुलिस वालों ती तस्वीरें साझा की, जो ड्यूटी के बाद अपने घर जाकर साल डिसटेंसिंग का पालन कर रहे हैं। इन तस्वीरों में साफ़ था कि कैसे ड्यूटी पर जाने और वापस आने के बाद पुलिस कर्मी अपने घरवालों की सुरक्षा के लिये उनसे दूरी बनाये हुए हैं।
डीजी क़ानून व्यवस्था, अशोक कुमार का कहना है कि, “जो निर्देश सभ के लिये वही पुलिस कर्मियों के लिये भी है। क्योंकि वो दिनभर सड़कों पर तैनात रहते हैं इसलिये उनके लिये सोशल डिसटेंसिंग का पालन और कड़ाई से करना और ज्यादा जरूरी हो जाता है।
 उत्तराखंड पुलिस के तमाम जवान और अधिकारी पूरी ताक़त के साथ सड़कों पर, गलियों और चौराहे पर देखे जा सकते हैं। वो यह कर रहे हैं ताकी आम नागरिक अपने घरों में सुरक्षित रहे। इस सबके बीच अपनी सख़्ती को लेकर हमेशा सुर्ख़ियाँ बटोरने वाली पुलिस का मानवीय चेहरा भी सामने आ रहा है। कहीं लोगों तक खाना पहुँचाने काम काम किया जा राह है तो कहीं मुश्किल में फँसे लोगों तक मदद पहुंचाने का काम। कोरोना से लड़ी जा रही लड़ाई इतनी कठिन है कि ज़्यादातर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी का कोई समय नहीं है। ऐसे में इन्हें सड़कों पर ही भोजन करना पड़ रहा है।
 इन जवानों का ज़्यादातर समय आम शहरियों को सुरक्षित घरों में रखने में ही निकल जाता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम सब कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता को समझे और पुलिस और सरकार का इस गंभीर बीमारी से लड़ने में पूरा साथ दें।