ग्यारह सौ कलश जल से हुआ भगवान शिव का रूद्राभिषेक

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कनखल संदेश नगर स्थित श्री परमधाम सेवा आश्रम में सोमवार को भगवान शिव का 1100 कलशों में जल भरकर सहस्त्रधारा लघु रूद्राभिषेक किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में संतगण व श्रद्धालु उपस्थित रहे।

स्वामी धर्म सेवानंद पुरी ने बताया कि प्रतिवर्ष सावन में इस प्रकार की पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें 11 ब्राह्मणों द्वारा 1100 बेलपत्र, 1100 दूर्वा, 1100 फूल, 1100 सिक्के, 1100 फल, 1100 मिष्ठान, 1100 पंचमेवा आदि से भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है और जीवन में कोई कष्ट नहीं आता।

स्वामी पुरी ने कहा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए समय-समय पर धर्मानुसार दुग्धाभिषेक व रूद्राभिषेक करने से श्रद्धालु भक्तों की मनाकोनाएं पूर्ण हो जाती है। मुख्य स्वामी नित्यानंद पुरी ने कहा कि भगवान शिव की दया दृष्टि से परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव का जला अभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्रवण मास में भगवान शिव का गुणगान करने से अवश्य ही कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती पुरी ने कहा कि आस्था की नगरी में भगवान शिव के सेवक प्रतिवर्ष श्रवण मास में कठिन परिश्रम कर भोलेनाथ का सिमरन करते हुए अपने गन्तव्यों की ओर लौटते हैं। भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उनके कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। संत समाज सदैव ही धार्मिक रीति रिवाजों एवं क्रिया कलापों से समाज को गति प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका निभाता चला आ रहा है। सच्ची निष्ठा से की गई पूजा अर्चना का अवश्य ही फल प्राप्त होता है।