रौजाना बदल रहें हैं पंचायत चुनाव के चुनावी समीकरण

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ऋषिकेश, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो बच्चों से अधिक वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर उच्च न्यायालय का निर्णय आ जाने के बाद राज्य सरकार की फजीहत हो रही है। श्यामपुर न्याय पंचायत के 16 गांवों में चुनावी समीकरण हर रोज बदलने लगे हैं  जिससे प्रत्याशियों सहित आम जनता में भी असमंजस की स्थिति बरकरार है।
गौरतलब है, कि श्यामपुर के पूर्व जिलापंचायत सदस्य एवं छिद्दरवाला के पूर्व ग्राम प्रधान देवेंद्र नेगी इस बार ब्लॉक प्रमुख बनने की तैयारी कर रहे थे किन्तु दो बच्चों वाला मामला अटक जाने के कारण चुनाव से पहले ही बाहर हो गए थे किंतु न्यायालय के निर्णय आजाने के बाद फिर से उनकी चुनावी सक्रियता बढ़ गयी है।वहीं दूसरी ओर ग्राम सभा खदरी खड़कमाफ में निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सुनीता उपाध्याय ने भी पुनः भाग्य आजमाने के प्रयास किये थे किंतु पहले दो बच्चों वाली स्थिति साफ न होने के कारण उन्होंने अपने देवर रोशन उपाध्याय को चुनाव जिला पंचायत पद का प्रत्याशी बनाया था, किंतु जैसे ही उनको न्यायालय के आदेशों का पता चला ।तो उन्होंने अपनी सीट पर अपने पति महावीर उपाध्याय को प्रत्याशी बना दिया है।
ठीक इसी प्रकार प्रधान पद पर भी ग्राम सभा खदरी खड़कमाफ में प्रधान पद के प्रत्याशी वाली सीट पर भी स्थिति हास्यास्पद बनी हुई है।यहाँ प्रधान पद पर महिला सीट आरक्षित होने के कारण निवर्तमान ग्राम प्रधान सरोप सिंह पुण्डीर ने अपनी पत्नी गीता देवी पुण्डीर को प्रत्याशी बनाया तो टक्कर में पूर्व प्रधान सुनीता रावत ने भी महिला आरक्षित सीट होने का लाभ लेते हुये स्वयं दावेदारी की घोषणा कर दी।लेकिन वर्ष 2014 में चुनावी आय व्यय का व्योरा जमा न कराए जाने के कारण सुनीता रावत को राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव हेतु अयोग्य घोषित कर दिया।इससे से स्थिति बदल गयी,इस पर सुनीता रावत ने अपनी युवा बेटी दीपिका रावत को ग्राम प्रधान का प्रत्याशी बनाया है। दूसरी ओर स्थानीय निवासी और महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शान्ति थपलियाल ने महिला सीट होने के कारण अपनी पत्नी संगीता थपलियाल को प्रधान पद का प्रत्याशी बनाया है लेकिन हैरानी की बात यह है कि जो लोग पिछले चुनाव में शांति प्रसाद के साथ थे उन्होंने इस बार आशा कार्यकर्ता विरोजनी देवी गौड़ को चुनाव में समर्थन की बात दोहराते हुए चुनावी गर्मी बढ़ा दी है।  इधर जिन्होंने विरोजनी देवी को चुनाव हेतु प्रेरित किया था दो बच्चों वाला फैसला आ जाने के बाद उनके द्वारा स्वयं भी चुनाव लड़ने की भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। इससे चुनाव और रोमांचक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
क्षेत्र पंचायत सीट पर भी इस बार अधिकतर महिला आरक्षित सीट हो जाने से कई प्रत्याशियों के पेंच फँस गए हैं।चुनावी पंडितों के कहना है कि अब जबकि दो से अधिक बच्चों वाले मामले पर उच्च न्यायालय का  निर्णय आ गया है ऐसे में राज्य सरकार की दो बच्चों वाले नियम को लेकर फजीहत हो रही है।इस लिए यदि राज्य सरकार इस निर्णय को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जाती है तो शीघ्र निर्णय न होने की स्थिति में पंचायत चुनाव और आगे जा सकते हैं और नवम्बर दिसम्बर में पहाड़ों में बर्फबारी की वजह से चुनाव फरवरी तक टल सकते हैं।इससे आने वाले समय में चुनावी स्थिति में प्रत्याशियों का घमासान होना निश्चत है।इससे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समीकरण फिर से बदलने के पूरे आसार नजर आरहे हैं।देखना यह है कि राज्य सरकार अब क्या निर्णय लेती है।