स्वाइन फ्लू से डेढ़ माह में दूसरी मौत,पढ़ें बचाव के तरीके

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देहरादून। दून के लक्खीबाग क्षेत्र की रहने वाली 45 वर्षीय महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। डेढ़ माह के भीतर प्रदेश में स्वाइन फ्लू से यह दूसरी मौत है। इससे पहले थराली विधायक मगनलाल शाह की स्वाइन फ्लू से मौत हुई थी। स्वास्थ्य महकमे के अनुसार मृतका के पड़ोस में रहने वाली एक और महिला में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा मोहब्बेवाला निवासी एक युवती की भी रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
बीते माह महिला को गंभीर हालत में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालत ज्यादा गंभीर होने पर उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। तीन अप्रैल को महिला की मौत हो गई थी। उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। जिसमें मौत की वजह स्वाइन फ्लू बताई गई है। वहीं, एक लक्खीबाग की ही एक 55 वर्षीय महिला में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। उसका श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उपचार चल रहा है। चिकित्सकों के अनुसार उसकी हालत अब खतरे से बाहर है। इधर, मोहब्बेवाला निवासी एक 20 वर्षीय युवती में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
स्वास्थ्य महकमा श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल को नोटिस जारी करेगा। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने बताया कि महिला की मौत तीन अपै्रल को हो गई थी। जिसकी सूचना विभाग को आठ अप्रैल को दी गई। जबकि सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया जा चुका है कि किसी भी मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर विभाग को तुरंत इसकी सूचना दें। लेकिन महिला के मौत की खबर अस्पताल ने छिपाई रखी। लक्खीबाग में स्वाइन फ्लू की दस्तक के बीच स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। यह वही इलाका है जहां दो साल पहले डेंगू ने जमकर कहर बरपाया था। जिससे निपटते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए थे। यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व विधायक आदि को भी मैदान में उतरना पड़ा। अब यह इलाका स्वाइन फ्लू की जद में है।

विभाग की बढ़ाई परेशानी
लक्खीबाग निवासी दो महिलाओं में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के साथ ही एक और बात है जिसने अधिकारियों के माथे पर बल डाल दिए हैं। यह दोनों ही महिलाएं पिछले काफी समय से शहर से बाहर नहीं गई थी। इनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी तय है कि स्वाइन फ्लू का वायरस क्षेत्र में ही मौजूद है। जिससे अब अन्य लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। विभाग के अनुसार स्थिति पर नजर रखी जा रही है। न केवल परिवार बल्कि आसपास के लोग भी निगरानी में हैं।

दिल्ली में होती है सैंपल की जांच
स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए मरीज का सैंपल दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र को भेजा जाता है। यहां से रिपोर्ट आने में कई-कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान मरीज का इलाज संदेह के आधार पर ही होता है। यह हाल तब है जब श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था है। इस लैब को एनसीडीसी से भी मंजूरी मिली हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल के बीच अनुबंध न होने के कारण सैंपल जाच के लिए दिल्ली भेजे जाते हैं। क्योंकि एनसीडीसी में सैंपल की जांच निशुल्क होती है। जबकि अस्पताल की लैब में सैंपल की जांच के लिए विभाग को एक निश्चित राशि देनी होगी। दून अस्पताल की लैब में स्वाइन फ्लू की जांच को कवायद शुरू की गई थी, पर यह अभी तक भी धरातल पर नहीं उतरी है।

ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण
सर्दी, जुकाम, सूखी खांसी, थकान होना, सिरदर्द और आंखों से पानी आना। इसके अलावा स्वाइन फ्लू में सांस भी फूलने लगती है। अगर संक्रमण गंभीर है तो बुखार तेज होता जाता है।

स्वाइन फ्लू के कारण
इंफ्लूएंजा-ए वायरस के एक प्रकार एच1 एन1 से स्वाइन फ्लू उत्पन्न होता है। यह वायरस साधारण फ्लू के वायरस की तरह ही फैलता है। स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक बहुत तेजी से फैलता है। जब कोई खांसता या छींकता है तो छोटी बूंदों में से निकले वायरस कठोर सतह पर आ जाते हैं। यह वायरस 24 घंटे तक जीवित रह सकता है।
ये बरतें सावधानियां
– गंभीर बीमारियों से ग्रसित, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, सर्दी-जुकाम से पीडि़त, ब’चे और बुजुर्गों को विशेष तौर से सावधानी बरतने की जरूरत है।
– इस बीमारी से बचने के लिए स्वच्छता का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते और छीकते समय टीशू से कवर रखें।
– बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
– जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों, उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए।
– स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से संपर्क व हाथ मिलाने से बचें। नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहें।
– जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से तेज बुखार हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
– स्वाइन फ्लू के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है। जिससे एच1एन1 वायरस की पहचान की जाती है। ऐसी कोई भी जांच डॉक्टर की सलाह के बाद कराएं।