शहीद मोहनलाल और वीरेंद्र की शवयात्रा में उमड़ी भीड़, दून के बाजार बंद

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(देहरादून) पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ में एएसआइ मोहनलाल रतूड़ी का पार्थिव शव दून पहुंच गया। इस दौरान उनके घर में अंतिम दर्शन को जनसैलाब उमड़ पड़ा। हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। वहीं, सुबह से दोपहर तक के लिए दून के बाजार बंद कर दिए गए। वहीं खटीमा के शहीद वीरेंद्र राणा का शव भी उनके गांव पहुंच गया।

शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। बच्चे और शहीद की पत्नी तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर पर चिपक गए। घर में सभी का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद का पार्थिव शरीर को घर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। वहीं, मौके पर सांत्वाना देने और शहीद के अंतिम दर्शन को पहुंची भीड़ ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ जमकर नारे लगाए। साथ ही जब तक सूरज चांद रहेगा, मोहन तेरा नाम लगेगा, ये नारा भी गूंजता रहा।

इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, डीजीपी अनिल रतूड़ी, डीजी अशोक कुमार, विधायक विनोद चमोली, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी शहीद के घर पहुंचे। यहां लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद सीएम ने स्वयं शहीद के पार्थिव शरीर को कंधा दिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीद मोहनलाल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। कहा कि शहीदों के परिजनों को सरकार नोकरी देगी। इसके लिए ज़िलाधिकरियों को दो नियुक्ति के अधिकार दिए गए हैं। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पूरा देश गम और गुस्से में है। हम सब एक साथ हैं। केंद्र सरकार को आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने चाहिए।

बंद रहे दून के बाजार बंद

पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के शोक में शनिवार को दून में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। दून उद्योग व्यापार मंडल के आह्वान पर व्यापारियों ने बाजार बंद में शामिल रहने का निर्णय लिया था। वहीं, बार एसोसिएशन देहरादून ने भी विधिक कार्यों से विरत रहने का एलान किया है। बाजार बंद को 260 से ज्यादा सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन दिया है।

पांच घंटे तक पेट्रोल पंप भी बंद 

देहरादून पेट्रोल पंप वेलफेयर एसोसिएशन ने भी शहीद सैनिकों के शोक में पांच घंटे के लिए पेट्रोल पंप बंद रखने का एलान किया है। एसोसिएशन की बैठक में अध्यक्ष आशीष मित्तल व महामंत्री सचिन गुप्ता ने कहा कि देहरादून, विकासनगर, मसूरी के पेट्रोल पंप सुबह नौ से दोपहर दो बजे तक बंद रखे गए।

गुरुवार को शहीद हुए थे उत्तराखंड के दो लाल 

देश की रक्षा में उत्तराखंड के लाल हमेशा शहादत देने में आगे रहे हैं। गुरुवार को पुलवामा के गोरीपोरा (अवंतीपोरा) में सीआरपीएफ बटालियन पर हुए आतंकी हमले में भी प्रदेश के दो लाल शहीद हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी, बनकोट के मूल निवासी और हाल निवासी कांवली रोड, एमडीडीए कॉलोनी के एएसआइ 55 वर्षीय मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे।

गुरुवार को शहीद हुए थे उत्तराखंड के दो लाल 

देश की रक्षा में उत्तराखंड के लाल हमेशा शहादत देने में आगे रहे हैं। गुरुवार को पुलवामा के गोरीपोरा (अवंतीपोरा) में सीआरपीएफ बटालियन पर हुए आतंकी हमले में भी प्रदेश के दो लाल शहीद हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी, बनकोट के मूल निवासी और हाल निवासी कांवली रोड, एमडीडीए कॉलोनी के एएसआइ 55 वर्षीय मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे।

गुरुवार को शहीद हुए थे उत्तराखंड के दो लाल 

देश की रक्षा में उत्तराखंड के लाल हमेशा शहादत देने में आगे रहे हैं। गुरुवार को पुलवामा के गोरीपोरा (अवंतीपोरा) में सीआरपीएफ बटालियन पर हुए आतंकी हमले में भी प्रदेश के दो लाल शहीद हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी, बनकोट के मूल निवासी और हाल निवासी कांवली रोड, एमडीडीए कॉलोनी के एएसआइ 55 वर्षीय मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे।

गम व गुस्से से चीख उठा शहीद बीरेंद्र का गांव

सीआरपीएफ के जवान बीरेंद्र राणा की शहादत की सूचना से उधमसिंह नगर जिले के मोहम्मदपुर भुड़िया गांव में गुस्सा व मातम का माहौल है। शहीद के साथी ने परिजनों को शहादत की जानकारी दी, जिसके बाद पूरा गांव गमजदा है। परिजनों को सांत्वना देने के लिए लोग उमड़ रहे हैं। लोग भारत सरकार से आतंकियों को जल्द सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं।

खटीमा से 18 किलोमीटर दूर है मोहम्मदपुर भुड़िया गांव। 80 वर्षीय किसान दीवान दीवान सिंह राणा के तीन बेटों में सबसे छोटे बीरेंद्र राणा (35) आतंकी हमले में शहीद हुए हैं। बीरेंद्र गांव के स्कूल से दसवीं पास करने के बाद 2004 में सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गए थे।

वर्तमान में वह श्रीनगर क्षेत्र में तैनात थे। दीवान ङ्क्षसह के सबसे बड़े बेटे जयराम ङ्क्षसह बीएसएफ से दो साल पहले सेवानिृवत्त हो चुके हैं। वहीं मझले पुत्र राजेश खेती करते हैं। बीरेंद्र शहादत से दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताकर लौटे थे।

गुरुवार को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोर के पास गोरीपारा में हुए आंतकी हमले की खबर गांव पहुंची तो परिजन ङ्क्षचतित जरूर थे, लेकिन उम्मीद थी कि उनका बेटा सकुशल है। जैसे-जैसे दिन ढलता गया घर पर लोगों के कुशलक्षेम पूछने को फोन घनघनाने लगे। रात्रि में ही गांव वालों को शहादत का पता चल गया, लेकिन परिजन को इस पर विश्वास नहीं हो रहा था। शुक्रवार की सुबह आठ बजे बीरेंद्र की पत्नी रेनू के पास फोन आया। कॉलर ने खुद को बीरेंद्र का दोस्त प्रेम बता कहा कि वह कल घर आएगा। दोस्त बीरेंद्र ने देश के लिए कुर्बानी दी है। इतना सुनते ही पत्नी गश खाकर वहीं गिर पड़ी। बीरेंद्र का ढाई वर्षीय बेटा बयान ङ्क्षसह व चार वर्षीय बेटी रुई है।