एनआईटी विवाद: श्रीनगर में 900 से अधिक छात्रों ने छोड़ा एनआईटी कैंपस

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(गढ़वाल,श्रीनगर) देश में जहां एक तरफ समोसे और पकौड़े तल कर स्वरोज़गार के मौके देने पर बहस औऱ राजनीति दोनो हो रही है वहीं उत्तराखंड में एक ऐसा सरकारी संस्थान है जहां के बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं पर उन्हे मूलभूत सुविधाओं के लिये भी लड़ाी लड़नी पड़ रही है। श्रीनगर कैंपस शिफ्ट करने की मांग को लेकर 19 दिनों से कक्षाओं के बहिष्कार पर डटे नेशनल इंस्टीटयूट आफ टेक्नालॉजी (एनआईटी) उत्तराखंड के छात्र श्रीनगर के अस्थायी कैंपस को छोड़कर अपने घरों को चले गये हैं। कैंपस को अन्यत्र शिफ्ट करने के बाद ही छात्रों ने वापस आने का निर्णय लिया है।

परिसर छोड़ने से पहले छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड के राज्यपाल व मुख्यमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड, एमएचआरडी सचिव और एनआईटी के निदेशक को पत्र भेज अपने हालातों से अवगत कराने का प्रयास किया है। उन्होंने लिखा है कि वो तत्काल अस्थायी कैंपस में शिफ्टिंग चाहते हैं जो सुविधाजनक, चिकित्सीय सुविधा, कॉरपोरेट एक्सपोजर और मानकों को पूरा करता हो। छात्रों का कहना है कि आंदोलन के 20 दिन होने के बाद भी राज्य व केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके अलावा छात्रों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किए हैं। जिसमें उन्होंने तत्काल तीन मांगों: घायल छात्रों का इलाज का खर्चा उठाने, तत्काल अस्थायी कैंपस में शिफ्ट करने और स्थायी कैंपस के लिए भूमि चयन और निर्माण शुरू करवाने की मांग की है।

वहीं संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि छात्रों ने उनको हॉस्टल छोड़ने की कोई सूचना नहीं दी है। अलबत्ता बीटेक चतुर्थ वर्ष के छात्रों के भविष्य को देखते हुए कक्षाओं में लौटने का अनुरोध किया गया है।

दो परिसरों में चल रहा एनआइटी

दरअसल श्रीनगर एनआईटी दो परिसरों में चल रहा है। एनआइटी की कक्षाएं दो परिसरों में संचालित हो रही है। प्रयोगशाला और प्रशासनिक भवन पुराने आइटीआई की जमीन पर बनाए गए हैं, जबकि कक्षाएं यहां से दो सौ मीटर दूरी पर पालीटेक्नीक भवन में संचालित की जा रही हैं। हॉस्टल के लिए संस्थान ने यहां से कुछ दूरी पर होटल किराये पर ले रखे हैं।

छात्र-छात्राएं इस व्यवस्था से खफा हैं। उनका कहना है कि ये सब एक ही कैंपस में होना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था में सुरक्षा को लेकर भी बच्चे शंकित रहते हैं। इसी महीने की शुरुआत में एक से दूसरे कैंपस में जाते वक्त दो छात्राएं वाहन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इनमें एक का अभी उपचार चल रहा है।

छात्रा की दुर्घटना से शुरू हुआ आंदोलन

तीन अक्तूबर को बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो छात्राओं को एक बेकाबू कार ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में एक छात्रा गंभीर घायल हो गई थी। जिसका अस्पताल में उपचार चल रहा है। जिसके बाद से छात्र आंदोलन पर चले गये हैं। एनआईटी प्रशासन का कहना है कि कुछ छात्रों ने रजिस्टर में बाहर जाने की बात लिखी है। वह कहां गए हैं, हमें नहीं मालूम। उन्होंने नियमानुसार अपने बाहर जाने की सूचना हमें नहीं दी है।

जमीन को लेकर अभी तस्वीर धुंधली 

पूर्व में एनआईटी का स्थायी कैंपस सुमाड़ी में बनाने का एलान हुआ था, लेकिन इस बीच चयनित भूमि को लेकर विवाद की स्थिति बन गई। बाद में इस जमीन को तकनीकी आधार पर अनुपयोगी करार दे दिया गया। अभी तक यह तय नही है कि स्थायी कैंपस कहां बनेगा।