नए रूप में दिखेगा ऋषिकेश रेलवे स्टेशन, नजर आएगी केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति

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भारतीय रेलवे की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पहले रेल स्टेशन (न्यू ऋषिकेश) में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति नजर आएगी। खास बात यह कि इस परियोजना के तहत बनने जा रहे अन्य रेलवे स्टेशनों का डिजाइन भी उत्तराखंड के मंदिरों व पारंपरिक भवनों की निर्माण शैली पर आधारित होगा। हालांकि, अभी सिर्फ ऋषिकेश रेलवे स्टेशन के डिजाइन को ही अंतिम रूप दिया है और इसी वर्ष अप्रैल-मई में इस स्टेशन का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य भी रखा गया है।

16216.31 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना तेजी से आकार लेने लगी है। इस परियोजना में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 126 किमी लंबी रेल लाइन बिछाई जानी है। रेल लाइन का सिर्फ 21 किमी हिस्सा ही जमीन की सतह पर होगा। शेष 105 किमी रेल लाइन भूमिगत यानी टनल्स (सुरंगों) से होकर गुजरेगी।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के प्रबंधक ओपी मालगुड़ी के अनुसार तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण इस रेल परियोजना की खास बात यह है कि इसके तहत बनने वाले 16 रेलवे स्टेशन आम रेलवे स्टेशनों से अलग होंगे। प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर देवभूमि की झलक और पहाड़ी भवनों की निर्माण शैली देखने को मिलेगी।

इसी कड़ी में परियोजना के पहले रेलवे स्टेशन (न्यू ऋषिकेश) के मानचित्र को अंतिम रूप दे दिया गया है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति देखने को मिलेगी। यानी स्टेशन भवन का मुख्य प्रवेश द्वार पूरी तरह केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आएगा।

अन्य स्टेशनों के मानचित्र भी उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों और पहाड़ी शैली के भवनों की तरह ही तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक अन्य स्टेशनों के मानचित्रों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य इन दिनों प्रगति पर है। मालगुड़ी ने दावा किया कि इसी वर्ष मार्च-अप्रैल में यह स्टेशन बनकर तैयार हो जाएगा।

2025 में दौड़ने लगेगी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच रेल 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना पर 18 सुरंगें बननी हैं, जिनकी लंबाई करीब 205 किमी होगी। यही वजह है कि वन विभाग ने इस परियोजना के लिए 173.0313 हेक्टेयर भूमि धरातल पर और 327.5683 हेक्टेयर भूमि भूमिगत स्थानांतरित की है।

 

नौ पैकेज में निर्मित होने वाले 18 टनल के लिए जल्द ही टेंडर आमंत्रित किए जाने हैं। इससे पहले रेल विकास निगम का प्रयास है कि टनल तक पहुंचने के लिए एप्रोच व एडिट रोड तैयार कर दी जाएं। इनके लिए टेंडर प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। कुछ कंपनियों ने एप्रोच व एडिट रोड का काम भी शुरू कर दिया है।

यही नहीं, टनल निर्माण से पूर्व ही टनल के मुहानों तक पावर सप्लाई देने का काम भी शुरू कर दिया गया है। ताकि टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होते ही कंपनियों को निर्माण में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। रेल विकास निगम का दावा है कि 2024 तक परियोजना का निर्माण पूरा हो जाएगा और 2025 में उत्तराखंड के पहाड़ों पर रेल दौड़ने लगेगी।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर एक नजर 

-रेल परियोजना की कुल लागत 16216.31 करोड़ रुपये।

-ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की कुल लंबाई 126 किमी।

– रेल लाइन पर कुल 18 सुरंगें और 16 पुल बनेंगे।

सबसे बड़ी सुरंग की लंबाई 15.100 किमी, जबकि सबसे छोटी सुरंग .220 किमी लंबी होगी।

-छह किमी से अधिक लंबी सुरंगों पर एक निकासी टनल भी बनाई जाएगी।

-प्रत्येक सुरंग की चौड़ाई आठ गुणा 10 डायमीटर होगी।

-सुरंग के भीतर लाइट व एयर वेंटिलेशन की भी पूरी व्यवस्था होगी।

-रेल लाइन का मात्र 21 किमी हिस्सा ही बाहर होगा, शेष 105 किमी रेल लाइन सुरंगों से गुजरेगी।

-ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल 16 रेलवे स्टेशन होंगे।

-रेल परियोजना के तैयार होने के बाद रेल से कर्णप्रयाग पहुंचने में करीब ढाई घंटे का वक्त लगेगा।