सुप्रीम कोर्ट: अवमानना मामले में राहुल गांधी को नोटिस, 30 को राफेल केस के साथ होगी सुनवाई

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पेगासस
File Photo

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 30 अप्रैल को राफेल मामले पर सुनवाई के साथ ही होगी। पिछले 15 अप्रैल को कोर्ट ने राहुल गांधी से सफाई मांगी थी।
आज सुनवाई के दौरान मीनाक्षी लेखी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी ने भले ही ये कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बिना पढ़े दे दिया था लेकिन उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ के बयान पर कोई माफी नहीं मांगी है। राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने ईमानदारी से अपनी गलती स्वीकार की है और उन्होंने इस पर खेद प्रकट किया है। सिंघवी ने राहुल गांधी के खिलाफ केस खत्म करने की मांग की और कहा कि इस केस का विरोधी चुनाव में लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।
कोर्ट की अवमानना के मामले में आरोपित को खुद कोर्ट में पेश होना होता है। अगर कोर्ट उसे पेशी से छूट दे तभी वो व्यक्तिगत पेशी से बच सकता है।
22 अप्रैल को राहुल गांधी ने अवमानना केस पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। राहुल गांधी ने आदेश गलत तरीके से पेश करने के लिए खेद जताया है। राहुल ने राफेल पर आदेश के बाद कहा था कि चौकीदार चोर है। अब उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि बयान चुनाव प्रचार के गर्म माहौल में दिया था। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कोई ऐसी बात नहीं बोलूंगा, जो सुप्रीम कोर्ट ने नहीं कही है।
याचिका भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने दायर की है। मीनाक्षी लेखी की तरफ से कहा गया कि ये कोर्ट की अवमानना है। राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की है।
दस अप्रैल को कोर्ट ने राफेल मामले पर लीक दस्तावेजों को साक्ष्य के तौर पर पेश करने के खिलाफ दायर केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विस्तार से सुनवाई करेगा।
मामले पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने जो दस्तावेज लगाए हैं वे प्रिविलेज्ड हैं और उन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि सरकार की चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं है बल्कि सरकारी अधिकारियों को बचाने की है, जिन्होंने राफेल डील में हस्तक्षेप किया।

सुनवाई के दौरान चीफ याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि अटार्नी जनरल की आपत्तियां सुरक्षा हितों के लिए नहीं हैं। इनमें से सभी दस्तावेज पहले से ही पब्लिक डोमेन में हैं। ऐसे में कोर्ट इस पर संज्ञान कैसे नहीं ले सकता है। प्रशांत भूषण ने कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के मुताबिक प्रिविलेज का दावा उन दस्तावेजों के लिए नहीं किया जा सकता है जो पब्लिक डोमेन में हों। ये सभी दस्तावेज पब्लिश हो चुके हैं, इसलिए प्रिविलेज का दावा बेबुनियाद है।