एम्स में नॉन इन्वेजिव वेंटिलेशन मास्टर क्लास व वर्कशॉप का आयोजन

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ऋषिकेश, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में नॉन इन्वेजिव वेंटिलेशन मास्टर क्लास व वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ के अलावा अन्य मेडिकल कॉलेजों के प्रतिभागी भी शामिल हुए। एम्स के पल्मोनरी विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि, “क्रिटिकल केयर व सांस संबंधी दिक्कतों के लिए नॉन इन्वेजिव वेंटिलेशन महत्वपूर्ण साधन है। लिहाजा चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ की जानकारी के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है। मरीजों की सुविधा के लिए संस्थान आधुनिकतम मशीनों को उपलब्ध करा रहा है, जिससे मरीजों को कोई दिक्कत नहीं हो।”

निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि, “एम्स संस्थान में जल्द सांस के मरीजों को अत्याधुनिक हाई फ्लोनेजल कैन्यूला मशीन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। संस्थान लोगों को वल्र्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कार्य कर रहा है।”

कार्यशाला में पीजीआई रोहतक के डॉ.ध्रुव चौधरी ने सांस की बीमारी में नॉन इन्वेजिव वेंटिलेशन मशीन से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने अस्पताल के साथ ही घर पर भी इस मशीन के इस्तेमाल के बारे में बताया।उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को मशीन के ठीक प्रकार से कार्य नहीं करने पर इसके समाधान का तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया। एम्स दिल्ली के डा.विजय हड्डा बताया कि सामान्यतः इस्तेमाल होने वाली नॉन इन्वेजिव वेटिलेटर के साथ ही अत्याधुनिक हाई फ्लोनेजल कैन्यूला मशीन की जानकारी दी। साथ ही उन्हें दोनों मशीनों में फर्क व नफा नुकसान भी बताए। डा.रवि गुप्ता ने खर्राटे व नींद संबंधी सांस रोगियों के लिए घर पर इस मशीन के उपयोग व इससे रोगी को मिलने वाली सहायता के बारे में जानकारी दी। जबकि डा.नीतिका ने नॉन इन्वेजिव वेंटिलेशर मशीन के बच्चों के लिए उपयोग के बारे में बताया।

पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डा.गिरीश सिंघवानी ने बताया कि सांस के रोगियों को बीमारी के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए व सही समय पर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों को धूम्रपान व प्रदूषण से बचाव करना चाहिए, जिससे उनकी दिक्कत नहीं बढ़े व सेहत में सुधार आ सके। उन्होंने बताया कि यह मशीन के उपयोग से सांस के रोगियों को वेटिलेटर के उपयोग, अस्पताल में भर्ती रहने के समय में कटौती, वेंटिलेटर से संबंधित इन्फेक्शन व परेशानियों के साथ ही खर्च को कम करने में सहायक है। डा.रुचि दुवा ने शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर नॉन इन्वेजिव वेंटिलेटर के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

इस अवसर पर पल्मोनरी विभाग के डा.मयंक मिश्रा, डा.सुबोध कुमार पांडेय, डा.प्रखर शर्मा, डा.लोकेश कुमार सैनी के अलावा डा. भास्कर आजाद, डा.सोनेशा गुप्ता, डा.वैभव चाचरा,डा.सुबोध कालरा, डा.सुशांत खंडूड़ी, डा.जगदीश रावत, डा.संजय सरीन,डा.पुनीत त्यागी आदि मौजूद थे।