नारायण दत्त तिवारी के जाने से ढल गया “विकास” का सूरज, उत्तराखंड में तीन दिन का राजकीय शोक

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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का निधन हो गया। एनडी तिवारी का निधन गुरुवार को दिल्ली के मैक्स अस्पताल में लगभग 2ः50 बजे हुआ। वह 93 साल के थे। एनडी तिवारी बीते एक साल से बीमार चल रहे थे।वह तीन बार उत्तरप्रदेश और एक बार उत्तराखंड के सीएम रहे। वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह केंद्र में वित्त और विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। आज ही एनडी तिवारी का जन्मदिन भी था।

अपने समय में विकास पुरुष के नाम से जाने जाने वाले एनडी तिवारी के निधन के साथ ही देश और खासकर उत्तराखंड राज्य की राजनीति का एक सुनहरा काल भी समाप्त हो गया। एक अनुभवी राजनितिज्ञ के तौर एनडी तिवारी का सम्मान सभी करते थे। तिवारी को सम्मान करने वालों में पार्टी लाइन से हटकर हर नेता आगे आता है। तिवारी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हे किडनी में इंफेक्शन के चलते 20 सितंबर 2017 को दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

नारायण दत्त तिवारी 1925 में नैनीताल के एक छोटे से गांव बलूती में पैदा हुए। तिवारी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत इलाहाबाद यूनिर्वसिटी के यूनियन का अध्यक्ष बनने के बाद शुरु की। उसके बाद एनडी तिवारी ने मुड़ कर पीछे कभी नहीं देखा, तीन बार सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे (1976-77, 1984-865, 1988-89), और आगे चलकर य़ूपी से अलग हुआ उत्तराखंड के ऐसे मुख्यमंत्री बने जिन्होने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इसके साथ ही वो भारत के अकेले ऐसे व्यक्ति भी बने जिन्होने दो अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्री का पधभार संभाला।

कई दशकों तक तिवारी कांग्रेस पार्टी का सबसे ताकतवर और बड़ा ब्रह्मण चेहरा भी रहे। राजनीति के शुरुवाती दिनों में तिवारी ने इंदिरा गांधी के साथ कई मंचों पर नजदीकी से काम किया। इसके बाद तिवारी ने राजीव गांधी के मंत्रीमंडल में विदेश मंत्री और वित्तमंत्री के तौर पर भी काम किया। इसके साथ ही प्लैनिंग कमीश्न के सदस्य और अध्यक्ष के तौर पर भी तिवारी ने काम किया। 1990 तिवारी को राजीव गांधी की हत्या के चलते प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा कहा था। लेकिन दुर्भाग्यवश तिवारी लोकसभा चुनावों में अपनी सीट और प्रधानमंत्री पद की अपी दावेदारी दोनों हार गये।

उत्तराखंड बनने के बाद एनडी तिवारी वह पहले सीएम थे जिन्होंने 2002-2007 तक नए राज्य की परवरिश की। तिवारी के कारियकाल को आज भी जानकार उत्तराखंड के लिये स्वर्णिम काल मानते हैं। इस दौरान राज्य में विकास की कई योजनाऐं शुरू हुई जिनमें सिडकुल जैसे औद्यगिक योजनाऐं प्रमुख हैं।

एन डी तिवारी की मौत की खबर आते ही राज्य के सभी बड़े नेताओं ने टिव्टर के माध्यम से शोक व्यक्त किया।राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंंह रावत ने टिव्ट कर के कहा कि ”उत्तराखंड श्री तिवारी जी के योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा,नवोदित राज्य उत्तराखंड को आर्थिक और औद्योगिक विकास की रफ्तार से अपने पैरों पर खड़ा करने में तिवारी जी ने अहम भूमिका निभाई है।”

अपने राजनीतिक जीवन में नारायण दत्त तिवारी हमेशा ही सुर्खियों में बने रहे। इनमे उनके काम के अलावा उनके निजि जीवन से जुड़ी कहानियां भी महत्वपूर्ण रही। अपने जीवन के आखिरी कार्यकाल में तिवारी को आंध्रप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। लेकिन राज्यपाल रहते तिवारी के निजि पलों की एक कथित सीडी सामने आने के कारण उन्हें राज्यपाल के पद से इस्तीपा देना पड़ा।इसके बाद तिवारी ढलती उम्र के कारण सक्रिय राजनीति से दूर होते चले गये।

निजि जीवन में तिवारी को एक और कठिन समय का सामना करना पड़ा जब उज्जवला शर्मा के बेटे रोहित शेखर ने तिवारी पर अपने पिता होने का दावा कर दिया। तिवारी शुरू में इसे खारिज करते रहे और एक लंबी कानूनी लड़ाी सड़ी। लेकिन कोर्ट के डीएनए जांच कराने के बाद ये बात साबित हो गई कि रोहित शेखर ही तिवारी के बेटे हैं। िसके बाद तिवारी ने भी रोहित की मां उज्जवला शर्मा को अपनाते हुए ९१ साल की उम्र में उनसे शादी रचाई।

तिवारी जी के गुजरने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने अपने टिव्टर के माध्यम से कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता हूं तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

हाल ही में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में तिवारी ने कांग्रेस को एक झटकातब दिया जब वो अपने बेटे रोहित सेकर के साथ बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने पहुंच गये। अपने राजनीतिक जीवन के अाखिरी पढ़ाव में भी एनडी तिवारी के राजनीतिक कद का परिचय इन बातों से मिलता है कि यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार रहते मुख्यमंत्री अकिलेश यादव ने तिवारी को सभी सरकारी सुविधाऐं मुहैया कराई थी और समय समय पर उनके पास जाते रहते थे। वहीं योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री शपथग्रहण समारोह में भी तिवारी को मंच पर जगह दी गई थी।

तिवारी के निजि जीवन में अनेक अपवाद भले ही रहे हों लेकिन उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक पारी को देखकर ये कहना सही होगा कि नारायण दत्त तिवारी अपने पीछे एक लंबा और गौरवपूर्ण राजनीतिक इतिहास छोड़गये हैं, जिससे अगर आज के नेता प्रेरणा ले सके तो निसंदेह ही देश और खासकर उत्तराकंड को खासा फायदा होगा।