अदृश्य दीवार करेगी सीमा की सुरक्षा

0
869

सुनने में यह काफी अच्छा लगता है कि अब देश की सीमा की सुरक्षा अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक दिवारें करेंगी। जम्मू में पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर साढ़े पांच किलोमीटर के दो पायलट प्रोजेक्ट लांच किये गये हैं। इसके तहत जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा के दो हिस्सों में अपनी तरह का पहला हाईटेक सर्विलांस सिस्टम तैयार किया गया है, जो जमीन, पानी और हवा में अदृश्य अवरोध इलेक्ट्रॉनिक बैरियर यानी स्मार्ट फेंस का काम करेगा। इसकी मदद से बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) को घुसपैठियों को पहचानने और घुसपैठ रोकने में मदद मिलेगी। सरकार का इरादा आने वाले दिनों में देश की संवेदनशील माने जाने वाली सीमा पर करीब दो हजार किलोमीटर लंबी इलेक्ट्रॉनिक दीवार खड़ी करने का है, ताकि घुसपैठ पर प्रभावी रोक लगायी जा सके।

कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम नाम की यह प्रणाली मौसम की मार से सुरक्षित होगी और विषम परिस्थितियों में भी सटीक सूचनाएं कंट्रोल रूम तक भेजेगी। इस प्रणाली के तहत कई आधुनिक सर्विलांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें इंफ्रारेड और लेजर बेस्ट इंट्रूडर अलार्म की सुविधा होगी और थर्मल इमेजर होगा। इनकी मदद से एक अदृश्य जमीनी बाड़ बनेगी। जबकि हवाई निगरानी के लिए एयर शिप ग्राउंड सेंसर लगा होगा, जो घुसपैठियों की किसी भी हरकत को भांपकर सुरक्षाबलों को तुरंत सूचित करेगा।

भारत और पाकिस्तान की सीमा पर ऐसे कई इलाके हैं, जहां से लगातार घुसपैठ की कोशिशें होती हैं। इसी वजह से देश की सीमा पर कई संवेदनशील इलाकों में कंटीली तारों की बाड़ लगाई गई है। लेकिन घुसपैठियों ने इसका भी तरीका ढूंढ निकाला है। अब वे सुरंग खोदकर घुसपैठ करने का तरीका भी अपनाने लगे हैं। ऐसी सुरंगे कई बार सीमावर्ती इलाकों में पकड़ी गई हैं। परंतु अब कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम के चालू हो जाने के बाद घुसपैठियों के लिए सुरंग खोदकर भारत की सीमा के अंदर दाखिल होना आसान नहीं होगा। इसी तरह राडार और सोनार सिस्टम के जरिए नदी की सीमाओं को भी सुरक्षित किया जा सकेगा। इसका कमांडो और कंट्रोल सिस्टम सभी सर्विलांस उपकरणों से डाटा को तत्काल प्राप्त करेगा और इसकी मदद से सुरक्षा बल बिना समय गवाएं सही जगह पर कार्रवाई करने की स्थिति में आ जाएंगे।

इस प्रणाली का उपयोग ऐसी जगहों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा, जहां प्रायोगिक तौर पर गश्त लगा पाना बहुत आसान नहीं है। पर्वतीय इलाकों या नदी-नाले वाले इलाकों में गश्त लगा पाना काफी कठिन होता है। इसलिए शुरुआती दौर में इस प्रणाली को इन्हीं क्षेत्रों में लगाया जाएगा। लेकिन आगे चलकर सरकार की योजना इसे घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील पूरे क्षेत्र में विस्तारित करने की है। भारत में लंबे समय से ऐसी प्रणाली की प्रतीक्षा की जा रही थी, जिसकी मदद से घुसपैठ पर प्रभावी रूप से रोक लग सके।

घुसपैठ भारत के लिए लंबे समय से एक बड़ी परेशानी की वजह बना रहा है। पाकिस्तान से लगी सीमा से प्रशिक्षित आतंकवादी और तस्कर सुरक्षाबलों की कड़ी चौकसी के बावजूद घुसपैठ करते रहते हैं। वहीं बांग्लादेश और म्यांमार से लगी सीमा से बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या मुसलमान भारी संख्या में घुसपैठ कर रहे हैं। देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या इसीलिए इतनी विकराल हो गयी है, क्योंकि अभी तक देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त तंत्र हमारे पास विकसित नहीं हो सका है।

आजादी के 71 साल बाद भी इसे देश का दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि हम अपनी सीमाओं को पूरी तरह से बाड़बंदी कर सुरक्षित नहीं कर सके हैं। इस काम में और देर होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से काफी खतरनाक होगा। इसलिए इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि घुसपैठ, तस्करी या अन्य गतिविधियों के लिहाज से संवेदनशील माने जाने वाली भारतीय सीमा पर जल्द से जल्द अदृश्य लेकिन प्रभावी इलेक्ट्रॉनिक दीवार यानी स्मार्ट फेंस की योजना लागू हो जाए, ताकि हमारी सीमाएं सुरक्षित और अभेद्य हो सकें।

भारत की पाकिस्तान से लगी सीमा के साथ ही पूर्वोत्तर भारत की सीमा भी काफी संवेदनशील मानी जाती है। पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय अलगाववादी गुट प्रायः वारदातों को अंजाम देने के बाद भागकर सीमा पार जाकर शरण लेते हैं। बांग्लादेश तथा म्यांमार के जंगलों में इन अलगाववादियों को प्रशिक्षण मिलने की बात भी सामने आती है। यदि इस सीमा पर स्मार्ट फेंस के रूप में इलेक्ट्रॉनिक दीवार खड़ी कर दी जाए तो अलगाववादियों या घुसपैठियों के भारत में घुसने पर रोक लगाई जा सकती है।

ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से सटी सीमा पर ऐसे कई स्थान हैं, जहां कटीले तारों की बाड़बंदी कर पाना सहज नहीं है। स्थान की दुर्गमता की वजह से इन इलाकों में लगातार गश्त कर पाना भी बहुत संभव नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में स्मार्ट फेंस की योजना घुसपैठ पर काबू पाने में काफी कारगर सिद्ध हो सकती है। आतंकवादियों तथा अलगाववादियों के कुत्सित इरादों को इलेक्ट्रॉनिक दीवार या स्मार्ट फेंस की यह योजना काफी आसानी से नाकाम कर सकती है। अव्वल तो यह प्रणाली घुसपैठियों को नजर ही नहीं आएगी। जिसके कारण वे क्षेत्र को घुसपैठ के लिए सुरक्षित मानते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन ऐसा करते ही उनके बारे में तत्काल ही सुरक्षाबलों को जानकारी हो जाएगी। क्योंकि यह प्रणाली सेंसर ग्राउंड राडार, थर्मल इमेजर और लेजर जैसी अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से लैस होगी।

हालांकि इतना होने के बाद भी सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है, क्योंकि ये स्मार्ट फेंस या इलेक्ट्रॉनिक दीवार घुसपैठ के बारे में सुरक्षा बलों को सूचित ही कर सकती है, घुसपैठियों को रोक नहीं सकती है। इसलिए ये प्रणाली तभी पूरी तरह से सफल हो सकती है, जबकि सुरक्षाबलों का कंट्रोल रूम हर समय चौकस बने रहे। बहरहाल, ये सारी बातें भविष्य में काम आएंगी, क्योंकि अभी जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से दो हिस्सों में कुल ग्यारह किलोमीटर के हिस्से में ही ये स्मार्ट फेंस का प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। पूरी सीमा को ऐसी अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक दीवार से लैस करने में अभी लंबा वक्त लगेगा। लेकिन देश की सुरक्षा के लिए सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए, ताकि देश पूरी तरह से घुसपैठियों और देश के दुश्मनों से सुरक्षित हो सके।