तनाव के बीच एक कश्मीरी छात्र जो देवभूमि में अपने को मानता है सुरक्षित

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“मेरा नाम नासिर ख्वाहमी है,मैं एक कश्मीरी हूं और मैं देवभूमि उत्तराखंड में खुद को सुरक्षित महससू करता हूं।”

बीते 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले के बाद देश के कोने-कोने में लोगों के बीच उबाल और गुस्सा है। इसबार यह गुस्सा केवल पाकिस्तान के लिए नहीं बल्कि कश्मीरी लोगों के लिये भी उबल रहा है। इसका कारण बना कुछ नासमझ कश्मीरी छात्रों का फेसबुक पोस्ट। जिसके चलते देश के कई राज्यों में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों के खिलाफ माहौल बनने लगा।

ऐसा ही कुछ हुआ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी। आतंकी हमले के कुछ घंटे बाद ही देहरादून के एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ ऐसी टिप्पीणी की जो लोगों में गुस्से का कारण बना।सोशल मीडिया की आग धीरे-धीरे लोगों में फैल गई और लोगों का गुस्सा सड़कों,कॉलेजों,दुकानों और अलग-अलग शहरों में देखा जाने लगा।

इस सबके चसते कई राज्य के कॉलेजों में पढ़ने वाले अधिक्तर छात्र फिलहाल अपने घरों को चले गये हैं। लेकिन देहरादून में हिम्मत की नी मिसाल पेश की है एक कश्मीरी छात्र ने। नासिर एक ऐसे कश्मीरी छात्र हैं जो पिछले 4 साल से देहरादून में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं । नासिर जम्मू और कश्मीर स्टूडेंट आर्गनाइजेशन के प्रवक्ता भी हैं। हाल के दिनोें में नासिर ने कश्मीरी छात्रों को अपने घरों तक जाने में काफी मदद की है।

नासिर बताते हैं कि, “पिछले चार सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ जो इस आतंकी हमले के बाद कश्मीरी छात्रों ने देहरादून में महसूस किया।वजह चाहें एक फेसबुक पोस्ट हो या जो भी हो देहरादून में रहने वाले कश्मीरियों को धमकी भरे फोन आने लगे की 24 घंटे के अंदर वह अपने घर कश्मीर वापस चले जाएं। इन सब घटनाओं के बारे में पता चलते ही जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट आर्गनाइजेशन ने दो हेल्पलाईन नंबर की शुरुआत की।”

वो बताते हैं, “इन हेल्पलाईन को शुरु करने के एक घंटे के अंदर ही उन्हें 200 से ज्यादा फोन आए।इन हेल्पलाईन नंबरों पर अगले 2-3 दिनों में 1600 से ज्यादा फोन आए जो अलग-अलग राज्य जैसे कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,हरियाणा,पंजाब,दिल्ली,राजस्थान,महाराष्ट्र और वेस्ट बंगाल से थे। बीते गुरुवार की सुबह तक अलग-अलग आर्गेनाइजेशन ,सिख समुदाय की खालसा ऐड ने लगभग 1100 कश्मीरी छात्रों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाया।

केवल 22 साल के नासिर कहते हैं कि, “पुलावामा में हुआ आतंकी हमला हम कश्मीरियों के लिए भी उतना ही तकलीफ देने वाला है जितना बाकि लोग इससे आहत हैं।  चाहें कोई सिविलियन मरें या सीआरपीएफ के लोग शहीद हो, दुख दोनों में ही होता है ।लेकिन ऐसे में अलग-अलग राज्यों में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों को जिस तरह से टार्गेट किया गया है वह वाकई परेशान करने वाली बात थी।”

गौरतलब है कि बीते शनिवार तक देहरादून से लगभग तीन हजार कश्मीरी छात्र अपने घरों को लौट चुके थे और आखिर में बचे नासिर से हमने सीधे बातचीत की।

नासिर कहते हैं कि, “इस पूरे मामले में देहरादून एसएसपी निवेदिता कुकरैती हमारे साथ हर पल डटकर खड़ी थी।उन्होंने हमे पूरा सर्पोट किया और जहां भी हमें मदद की जरुरत थी वहां हमें उत्तराखंड पुलिस से मदद मिली।हालांकि जिस तरह का सहयोग हमें कश्मीर प्रशासन से मिलना चाहिए था उस तरह का सर्पोट हमे वहां से नही मिला लेकिन बाकि दूसरे संगठनों ने हमारी काफी मदद की।”

देहरादून में हुए इस वाक्ये से ना केवल कश्मीरी परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा बल्कि सभी छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस लौटना पड़ा है। नासिर ने बताया कि जिस तरह के हालात देहरादून में थे उससे डरते हुए कुछ कॉलेजों ने भी कहा की आप सभी अभी घर जा सकते हैं और माहौल ठीक होने पर वापस आ सकते हैं।

बीते शनिवार को जब नासिर ने एसएसपी देहरादून से मुलाकात की तो एसएसपी ने उन्हें यह विश्वास दिलाया की अब देहरादून में महौल शांत हैं और सभी छात्र आकर अपनी पढ़ाई शुरु कर सकते हैं।हालांकि कश्मीरी छात्र कब वापस आते हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन उत्तराखंड पुलिस छात्रों की सुरक्षा का पूरी यकीन दिला रही है।

नासिर ने हिम्मत और हौसले से अपने सभी साथियों को सही सलामत उनके घर तक पहुंचाया और खुद आखिर तक देहरादून में अकेले रहे। हालांकि नासिर कहते हैं, “मेरे साथ जैसे लोग पहले थे वैसे ही आज भी है और ना ही मुझे किसी बात का डर है। बात केवल इतनी है कि एक की गलती की वजह से दून में रहने वाले सभी कश्मीरियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

जाते-जाते नासिर कहते है कि, “आने वाले दिनों में हम सब देहरादून वापस आऐंगे और आशा करेंगे कि आगे भी सभी हमसे वैसे ही पेश आए जैसे इस घटना से पहले करते थे।”