फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने का मामला आया प्रकाश में

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गोपेश्वर, चमोली जिले के शिक्षा विभाग में सामान्य जाति की एक महिला ने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर नियुक्ति पाने का मामला प्रकाश में आया है।

मामले के अनुसार शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए एक शिक्षिका ने सामान्य जाति का होने के बाद अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाकर अध्यापिका पद पर तैनाती पा ली। शिक्षिका की पहली तैनाती 2014 में प्राथमिक विद्यालय मलारी तेफना में हुई। जहां पर इनके कार्यकाल में तेफना विद्यालय से एक बच्चा भी गायब हुआ था, जिस पर ग्रामीणों के आक्रोश के बाद इनका स्थानातंरण प्राथमिक विद्यालय गिरा बांसा उर्गम हुआ, जो जोशीमठ विकास खंड में पड़ता है। इसी बीच हर वर्ष की भांति उच्च अधिकारियों के आदेश पर अध्यापकों के शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र जांच के आदेश निर्गत हुए। जिस पर खंड शिक्षा अधिकारी जोशीमठ विवके पंवार ने जब शिक्षिका के प्रमाण पत्रों की जांच की तो पाया कि शिक्षिका मुरादाबाद यूपी की रहने वाली है और उसके हाईस्कूल, इंटर के प्रमाण पत्रों में जाति हिंदू ब्राह्मण का उल्लेख है। जबकि, 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाकर 2014 में शिक्षिका ने शिक्षा विभाग में तैनाती पाई है।

खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि, “जांच में शिक्षिका की ओर से नौकरी पाने के लिए जमा किए गए दस्तावेजों में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के प्रमाण में जहां जाति के काॅलम में हिंदू ब्राह्मण दर्ज है। वहीं, नौकरी पाने के लिए शिक्षिका ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले से वर्ष 2012 में निर्गत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया है। कहा कि शिक्षिका के मामले को जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। इधर, मुख्य शिक्षा अधिकारी चमोली ललित मोहन चमोला का कहना है कि हालांकि अभी दस्तावेज उनके कार्यालत तक नहीं पहुंचे है। यदि ऐसा मामला है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।”