उपराष्ट्रपति डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित

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नई दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र संघ से आर्थिक सहायता प्राप्त ‘यूनिवर्सिटी ऑफ पीस’ ने उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को देश में कानून का शासन, लोकतंत्र एवं सतत विकास की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधी से नवाजा है। नायडू को कोस्टा रिका की राजधानी सैन जोस में यूनिवर्सिटी ऑफ पीस के अध्यक्ष ने ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ की उपाधी प्रदान की। यूनिवर्सिटी को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने दिसंबर,1980 में प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया था। वेंकैया नायडू पहले भारतीय हैं, जिन्हें इस विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधी दी गई है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि पूरी दुनिया शांति के सबसे बड़े दूत रहे महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है। ऐसे वक्त में उन्हें यह सम्मान प्राप्त कर बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने आतंकवाद को शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया व्यापार और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए एक दूसरे के करीब आ गई है। ऐसे दौर में भारत को आतंकवाद जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि शहरी विकास मंत्रालय में रहते हुए वेंकैया नायडू ने पर्यावरण अनुकूल एवं सतत शहरी योजना तथा विकास से जुड़ी नीति के बारे में काम किया था। इस दौरान स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत, स्वच्छ भारत मिशन, सबके लिए घर, ट्रांसिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट आदि योजनाएं लाई गई थीं। इनसे कार्बन उत्सर्जन में कमी आई और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, ग्रीन निर्माण, हरित क्षेत्र में वृद्धि जैसे कई पहलुओं पर काम हुआ था। 2017 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद देशभर में भ्रमण के दौरान उन्होंने कानून का शासन, पारदर्शी शासन और समावेशी विकास की वकालत करते रहे हैं।