सास और बहु मेयर पद पर आमने आमने

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काशीपुर- निकाय चुनाव की सर्मियां तेज हो गयी है, मेयर पद से लेकर पार्शद पदों तक में चुनावी घमासान छिडा हुआ है। जहां मेयर पद पर भाजपा और कांग्रेस का कडा मुकाबला देखा जा रहा है वहीं पार्षद पदों पर पार्टियों से टिकट लेकर लडने वालों सहित निर्दलियों का भी जनकर बोलबाला ह,। चुनावी इस जंग में जीत के लिए प्रत्याशी दर दांव पेंच खेल रहे है वहीं शराब और पैसों के बद पर भी वोटरों को लुभाने के हथकण्डे भी खुलकर अपनाये जा रहे हैं और आदर्श आचार संहिता का भी जनकर मखौल उडाया जा रहा है।
काशीपुर निकाय चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया है, जहां रिश्ते में सास लगने वाली कांग्रेस की प्रत्याशी मुक्ता सिंह कडी टक्कर दे रही है, तो वहीं रिश्ते में बहु लगने वाली भाजपा प्रत्याशी उषा चौधरी भी चुनावी मैदान में अपने पिछले कार्यकाल के विकास कार्यों को लेकर डटी हुई है। राजनैतिक परिदृश्य देखें तो लम्बे समय से काशीपुर क्षेत्र से कांग्रेस का कभी कोई उम्मीदवार जीत का सेहरा नहीं पहन पाया और मेयर पद से लेकर विधायक तक भाजपा उम्मीदवार जीत दर्ज करते आये हैं, लेकिन इस बार के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। जहां कांग्रेस की उम्मीदवार मुक्ता सिंह पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है तो इस बार जनता का उनको जमकर समर्थम मिल रहा है।
वहीं भाजपा उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में विकास कार्यों के दम पर तो है मगर बदलाव की लहर भाजपा को नुकसान दे सकती है। वहीं अंदरुनी गुटबाजी और खेमेबाजी भी भाजपा के लिए चुनावी समर में भाजपा की सेहत के लिए अच्छे संकेत नहीं है, जबकि पहली बार गुटबाजी से परे कांग्रेस एकजुट दिखाई दे रही है, और इस मौके को कांग्रेस खोना नहीं चाहती जिसके लिए कांग्रेस हर दांव पेच अपना रही है।
जबकि पार्षद पदों पर जमकर छिडा घमासान वोटरों के लिए रोज की पार्टी तैयार कर रहा है, पार्षद पदों के उम्मीदवारों द्वारा जमकर शारब और रुपये बांटकर वोटरों को रिझाने में लगे हैं, आयेदिन शारब की महफिले सजती है और चुनावी गणितों के आंकडे बिठाये जा रहे हैं वहीं वोटरों को खरीदने के लिए भी बोलियां लगनी शुरु हो गयी है। लेकिन आचार संहिता की कोई सख्ती दिखाई नही दे रही है, जिससे चुनावी माहौल पुरी तरह से प्रलोभन युक्त हो गया है।