क्षेत्रफल बढ़ने के साथ नगर निगम की समस्याएं बढ़ी

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देहरादून, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का क्षेत्रफल बढ़ाने के साथ-साथ समस्याएं भी पैर पसार रही हैं। चाहे सफाई हो या पथ प्रकाश व्यवस्था दोनों जनता के लिए समस्या का कारण बन रही हैं। 60 से 100 वार्ड होने पर कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ी, इसके कारण नये जुड़े क्षेत्रों की समस्याएं चुनौती बन गई है।

दीपनगर तथा देहराखास क्षेत्रों में जगह-जगह सफाई कर्मचारियों और पथ प्रकाश व्यवस्था की मांग हो रही है। हालांकि दोनों क्षेत्रों के पार्षद अपने क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझाने पर जुटे हुए हैॆं। उसके बाद भी समस्याओं में बहुत कमी नहीं आ रही है। दीप नगर के पार्षद दिनेश प्रसाद सती लगातार समस्याओं के समाधान के लिए जुटे हैं। यहां सफाई व्यवस्था के लिए सती जुटे रहते हैं, वहीं पथ प्रकाश के लिए निरंतर जुटे रहते हैं। ठीक यही स्थिति देहराखास के पार्षद आलोक भट्ट की है। आलोक भट्ट भी लगातार जनसेवा में जुटे है फिर भी समस्याएं सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है।

नगर निगम के मानकों को देखा जाए तो हर वार्ड में कम से कम 20 सफाई कर्मचारी होने चाहिए। इस हिसाब से 100 वार्डों में लगभग 2000 कर्मचारी होने चाहिए लेकिन 1575 कर्मचारी ही निगम के पास हैं। निगम प्रशासन ने बताया कि वर्तमान में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में 754 स्थाई सफाई कर्मचारी हैं। इसी प्रकार 620 स्वच्छता समितियां काम कर रही है। नालों को साफ करने के लिए 120 कर्मचारियों का नाला गैंग है, जबकि रात्रि में सफाई का काम करने के लिए मात्र 75 कर्मचारी हैं।

महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि, “नगर निगम का क्षेत्रफल पहले कम था लेकिन अब 72 गांव शामिल हो किए गये हैं। 65 किलोमीटर का क्षेत्रफल अब 196.66 किलोमीटर हो गया है। ऐेसे में लगभग 600 कर्मचारियों को आउटसोर्स के तहत रखे जाने के लिए चुनाव आयोग से इजाजत मांगी गई है। महापौर मानते हैं कि सुविधाएं कम हैं, व्यवस्था भी कम है फिर भी पूरे नगर को सुव्यवस्था देने का पूर्ण प्रयास करेंगे ताकि जनता को शिकायत का अवसर नहीं मिले। साछ ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।”