संस्कृतियों के आदान-प्रदान से बनेगा विश्व बन्धुत्व का अनुपम सेतु

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ऋषिकेश, बाली, इन्डोनेशिया से 25 सदस्यों का दल धर्मदुता आश्रम गांधी पुरी, बाली के संस्थापक चेयरमेन इंद्र उदायन के नेतृत्व में परमार्थ निकेतन पहुंचा। दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लेकर परमार्थ गंगा तट पर मनमोहक बाली नृत्य की प्रस्तुति दी।

इस मौके पर इंडोनेशिया से आयी कन्याओं ने क्लासिकल डांस के माध्यम से अपनी संस्कृति का चित्रण किया। साथ ही योग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए योग आसनों का प्रदर्शन तथा इन कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से ईश्वर उपासना, विसडम और योग का उत्कृट चित्रण किया।

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि, “इंडिया और इंडोनेशिया के संगम के प्रतीक पद्मासना के रूप में परमार्थ निकेतन के प्रागंण में विराजित होंगे इसके माध्यम से इंडिया और इंडोनेशिया के मध्य सेतु बनने जा रहा है। इससे पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का, विश्व एक परिवार है का संदेश जाएगा।”  उन्होंने कहा कि हमें विश्व शान्ति और सामंजस्य के लिए एक-दूसरे के साथ आना चाहिए और इस के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए। गंगा के तट से हम पूरे विश्व को यह संदेश देना चाहते है कि जिस प्रकार आज इंडिया और इंडोनेशिया की संस्कृतियां एक साथ गंगा के तट पर हैं, उसी प्रकार विश्व की सारी संस्कृतियां एक साथ आ सकती है।

इंद्र उदायन ने कहा कि, “हमारा उद्देश्य नृत्य के माध्यम से दुनिया के लोगों से जुड़ना, अपनी संस्कृति के बारे में दुनिया को अवगत कराना, दूसरे देशों की श्रेष्ठ संस्कृति को आत्मसात करना। उन्होंने कहा कि हम नृत्य के माध्यम से योग के प्रति जन जागरण करते है। योग सभी के लिए है और सभी तरह की दीवारों से मुक्त है। उन्होने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज कहते हैं कि योग, हमें विश्व बन्धुत्व का संदेश देता है, हम एक परिवार है का मंत्र देता है। इसी सूत्र को ग्रहण करने के लिए हम गंगा के पावन तट पर प्रतिवर्ष आते हैं। वास्तव में स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में आकर मां गंगा की आरती का दृश्य इंडिया-इंडोनेशिया संगम को जीवंत बनाता है।”

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने इंद्र उदायन और उनके साथ आए 25 सदस्यों के दल का रुद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनन्दन किया और आशीर्वाद दिया। बाली, इंडोनेशिया से आए कलाकार पूज्य स्वामी महाराज से रुद्राक्ष की माला और रुद्राक्ष का पौधा और आशीर्वाद की शाल पाकर कृतकृत्य हुए। वहां से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि आज का अनुभव पूरे जीवन का सबसे बेहतर अनुभव है। इण्डिया और इण्डोनेशिया संगम के प्रतीक के रूप में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण परमार्थ प्रांगण में किया।

इण्डोनेशिया से आए दल ने सदस्यों ने परमार्थ निकेतन की दिव्य गंगा आरती, गंगा स्नान और योग की कक्षाओं में सहभाग किया। उन्होने कहा कि हम अत्यंत प्रसन्न है कि हमें विश्व विख्यात गंगा आरती के दिव्य मंच पर आपनी संस्कृति को प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होने कहा कि स्वामी जी महाराज ने आगामी अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने के लिये आमंत्रित किया है ये आमंत्रण पाकर वे गद्गद् हो उठे और कहा कि भारत की धरती से मिला आमंत्रण हमारे लिये अनुपम है हम अवश्य सहभाग करेंगे।