युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा आयुर्वेद विवि

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Ayurveda

देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अधिकारियों की नाक के नीचे युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ होता रहा। हद देखिए पंचकर्म सहायक का कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी विज्ञान वर्ग से 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। पर यहां कला वर्ग के अभ्यर्थियों को भी दाखिला दे दिया गया। विवि के मुख्य परिसर में कक्षाएं चली पर किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं गया। या यूं कहें कि अधिकारी इस पर आंखें मूंदे रहे।

दरअसल, आयुर्वेद विश्वविद्यालय और धनवंतरि वैधशाला केरल के बीच पंचकर्म चिकित्सा संचालन के लिए 2015 में अनुबंध हुआ। अनुबंध खत्म होने के बाद तत्कालीन कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने इसके संचालन का जिम्मा मृणाल धूलिया को दे दिया। इसी के साथ शुरू हुआ फर्जीवाड़े का खेल। मृणाल धूलिया ने वैधशाला की आड़ में पंचकर्म सहायक का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया। ताज्जुब यह कि दाखिले के मानक तक तार-तार कर दिए गए।

नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को विज्ञान वर्ग (जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान व रसायन विज्ञान की अनिवार्यता) में बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए। पर यहां कला वर्ग के अभ्यर्थियों को भी दाखिला दे दिया गया। यह मामला इसलिए भी बड़ा हो जाता है क्योंकि कक्षाएं वैधशाला नहीं, बल्कि विवि के आयुर्वेद संकाय में चली। पर न संकायाध्यक्ष ने कभी आपत्ति की और न विवि के किसी अधिकारी ने। बिना मान्यता ही यह कोर्स चलता रहा और बिना अर्हता कई युवाओं ने इसे कर भी लिया।

कहा जा रहा है कि इस खेल में धूलिया बंधु को संरक्षण देने वाले तत्कालीन कुलसचिव मिश्रा थे। पर यह भी सच है कि मिश्रा को विवि से हटाए जाने के बाद भी धूलिया बंधु चांदी काटते रहे। किसी भी अधिकारी ने इस ओर कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। गत वर्ष नए कुलपति के आने के बाद धूलिया बंधु की विवि से विदाई हुई।