अपने ही घर पे गंगा मैली, लक्ष्मण झूला से हरिद्वार  तक गंगा में मिल रहे  है 13 गंदे नाले 

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ऋषिकेश, गंगा को स्वछ करने को  एनजीटी से लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट के लगातार आदेशों के बावजूद गंगा में हो रहे प्रदुषण में कमी नही आ रही। आपको बता दे की गंगा किनारे अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट पहले ही रोक लगा चूका है, जिसके बाद हरिद्वार में कुछ होटलों पर भी कार्यवाही की गई लेकिन ऋषिकेश में अभी भी हाल बुरा है।
यहाँ शहर के सिवर का पानी और होटलों से निकल रहा गन्दा पानी सीधे गंगा में मिल रहा है – गंगा अपने ही घर में मैली है तो दुसरे राज्यों की बात तो और भी भयानक है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में गंगा के मुहाने से लेकर हरिद्वार तक कई शहरी और ग्रामीण आबादी वाले, नगर पंचायत और पालिका क्षेत्र है जिन की आबादी और टूरिस्ट डेस्टिनेशन का सारा मल मूत्र, सीवर का पानी सीधे गंगा में डाल दिया जाता है ।
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क्योकि अभी तक राज्य सरकार उत्तराखंड के गहन आबादी वाले क्षेत्रों में भी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा पाई है । बात करे ऋषीकेश की तो यहाँ  गंगा प्रदुशण का सबसे बड़ा कारण गंगा में मिलने वाले गंदे नाले है। ऐसे नालों कि संख्या लगभग 13 के आस पास है,  जो गंगा में सीधे शहर कि तमाम गंदगी को मिला रहे है।
ऋषिकेश-हरिद्वार और स्वर्गाश्रम क्षेत्र विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है यही कारण है यहाँ साल भर देशी विदेशी सैलानियो का ताता लगा रहता है। जिसके चलते गंगा के तटों पर अवैध निर्माण की मानो बाड़ सी आ गयी है। जगह-जगह आश्रम, होटल- रिसार्ट ने यहाँ के गंगा के स्वरुप को ही बिगाड़ दिया है।  इन निर्माण का सारा गन्दा अपशिस्ट सीधे गंगा में जाता है जिससे गंगा की शुद्धता और निर्मलता को नुकसान हो रहा है।
ऋषीकेश अौर गंगा से सटे शहरों के नालों पर अगर वहा का स्थानीय प्रसाशन समुचित ध्यान दे तो वो दिन दूर नहीं जब गंगा प्रदूषण में काफी कमी लायी जा सकती है ओर आने वाली पीढी को स्वछ अौर निर्मल गंगा का जल मिल सकता है। जरूरत है तो एक ठोस  पहल कि जिस पर जल्द से जल्द कदम उठाने होगे, नहीं तो पीने  के पानी के साथ साथ खेतो में भी जहर की मात्र बड जाएगी।